Garbage on the main road is causing problems for pedestrians | मुख्य सड़क पर कचरा होने से राहगीर हो रहे परेशान – Karauli News


करौली55 मिनट पहले

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करौली| शहर इन दिनों सफाई कर्मचारियों की ओर से नियमित सफाई नहीं करने के कारण जगह-जगह गंदगी के ढ़ेर लगे हैं। इसी प्रकार चौबे पाड़ा मोहल्ला के पास भगवान श्री सूर्य नारायण के मंदिर के पास मुख्य सड़क पर हमेशा कचरे का ढेर लगा रहता है। जिससे राहगीरों के साथ वा



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NCRB report 2023 | एनसीआरबी की 2023 की रिपोर्ट: राजस्थान में हिरासत से 90 अपराधी फरार, देश में सबसे ज्यादा, इनमें 87 पेशी और जेल से बाहर जाते समय भागे – Jaipur News



राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में राजस्थान पुलिस से जुड़ा एक चिंताजनक रिकॉर्ड सामने आया है। वर्ष 2023 में पुलिस हिरासत या जेल से अपराधियों के फरार होने के मामलों में राजस्थान देश में पहले स्थान पर रहा। एनसीआरबी के अनुसार, वर्ष-

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हालांकि, इन फरार अपराधियों में से 53 को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि शेष अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। देशभर में वर्ष 2023 में कुल 833 अपराधी पुलिस हिरासत से फरार हुए, जिनमें से 10.8% अकेले राजस्थान से थे। इस मामले में राजस्थान पहले, महाराष्ट्र दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा।

फरार अपराधियों की दोबारा गिरफ्तारी में राजस्थान तीसरे नंबर पर रिपोर्ट के अनुसार, फरार अपराधियों की पुनः गिरफ्तारी में राजस्थान शीर्ष पर नहीं रहा। केरल पहले स्थान पर रहा, जहां 44 फरार अपराधियों में से 43 को फिर से पकड़ लिया। वहां सफलता का कारण नियमित निरीक्षण, डिजिटल मॉनिटरिंग और बेहतर जेल प्रबंधन व्यवस्था को माना गया है।

पुलिस लापरवाही पर कार्रवाई बेहद सीमित

एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में केवल एक मामले में पुलिस लापरवाही का केस दर्ज किया गया, जबकि 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई। इनमें से 7 पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी हुई और जनवरी 2024 तक 7 को सजा सुनाई गई। मध्य प्रदेश में 6 मामलों में 19 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।

अपराधियों की फरारी के चर्चित मामले

सितंबर 2025: जयपुर की जयपुर सेंट्रल जेल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे नवल किशोर महावर और अनस कुमार फरार। 26 सितंबर 2025: जोधपुर कोर्ट से 2012 के हमले के मामले में दोषी ठहराए गए 16 आरोपी एक साथ फरार। 6 सितंबर 2019: कुख्यात गैंगस्टर पपला गुर्जर को उसके हथियारबंद साथियों ने अलवर के बहरोड़ थाने से लॉकअप तोड़कर छुड़ा लिया। 3 सितंबर 2015: आनंदपाल को अजमेर जेल ले जाते समय परबतसर के पास उसके साथियों ने पुलिस वैन पर फायरिंग कर छुड़ा लिया।

भास्कर एक्सपर्ट- फरार होने से परिवादियों को खतरा राजस्थान में जेल प्रबंधन की गंभीर समीक्षा की आवश्यकता है। हाई-रिस्क आरोपियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा, दीवारों पर बिजली की व्यवस्था, शिफ्टिंग सिस्टम की कमी और खराब सीसीटीवी फरारी की आशंका बढ़ाते हैं। जेलों में ऑटोमेटेड अलार्म सिस्टम, हैंड्स-फ्री बैरियर और डिजिटल निगरानी लागू की जानी चाहिए। अधिकांश फरारी पेशी के दौरान होती है, इसलिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई को बढ़ावा देना जरूरी है। फरार अपराधी कई बार परिवादियों और गवाहों को नुकसान पहुंचाते हैं।

-निधि खंडेलवाल, एडवोकेट, हाईकोर्ट



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Major action by the Forest Department | वन विभाग की बड़ी कार्रवाई: सैंड स्टोन से भरी 5 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां जब्त, खनन माफिया में हड़कंप मचा – bayana News



अवैध खनन परिवहन के खिलाफ वन विभाग ने बयाना में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। रविवार अलसुबह वन विभाग की टीम ने रेंज कार्यालय के सामने नाकाबंदी कर सैंड स्टोन के ब्लॉकों से भरी 5 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को जब्त किया है। अचानक हुई इस कार्रवाई से क्षेत्र में

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वन विभाग के रेंजर हरभान सिंह ने बताया कि यह कार्रवाई सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) सुरेश चौधरी के नेतृत्व में की गई। कार्रवाई के दौरान बंशी पहाड़पुर और गढ़ी बाजना खनन क्षेत्र से सैंड स्टोन के ब्लॉक लेकर आ रही ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को रोका गया। जब ट्रैक्टर चालकों से खनिज परिवहन से संबंधित दस्तावेज मांगे गए तो वे कोई भी वैध परमिट या रवन्ना प्रस्तुत नहीं कर सके। दस्तावेजों के अभाव में वन अधिनियम के उल्लंघन का मामला मानते हुए सभी ट्रॉलियों को मौके पर ही जब्त कर लिया गया। पूछताछ में ट्रैक्टर चालकों ने बताया कि वे सैंड स्टोन के ब्लॉकों को बयाना रीको क्षेत्र में स्थित स्टोन कटिंग इकाइयों तक पहुंचाने जा रहे थे।

कार्रवाई गश्ती दल में भरतपुर डिवीजन स्टाफ व बयाना सदर स्टॉफ के फॉरेस्टर नरेश सैनी, सहायक वनपाल गोपाल शर्मा, वनरक्षक राहुल सिंह, प्रवीण धाकड़, महावीर, मोहित, विजयपाल, आदि शामिल रहे।

भास्कर इनसाइट – बैठक में सीएम जता चुके अवैध खनन पर नाराजगी

जानकारों के अनुसार, क्षेत्र में प्रतिदिन करीब 100 से 150 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से सैंड स्टोन ब्लॉकों का परिवहन किया जाता है। बीच में कुछ समय के लिए रॉयल्टी फर्म की सख्ती से अवैध खनन परिवहन पर प्रभावी रोकथाम लगी थी, लेकिन अब फिर से अवैध खनन परिवहन का गोरखधंधा शुरू हो गया है। इस पर प्रशासन की सख्ती साफ नजर आने लगी है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही में खान विभाग की समीक्षा बैठक में अवैध खनन पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। वन विभाग की यह कार्रवाई मुख्यमंत्री के निर्देशों की पालना में की गई मानी जा रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आगे भी अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ अभियान जारी रहेगा।



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Work will begin in the new year; reaching Kishangarh from Kotputli in 2 hours, saving 90 minutes. | फोर लेन ग्रीन एक्सप्रेस-वे: नए साल में शुरू होगा काम; कोटपूतली से किशनगढ़ 2 घंटे में पहुुंचेंगे, 90 मिनट बचेंगे – Sikar News



कोटपूतली से किशनगढ़ तक प्रस्तावित फोर लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का काम नए साल में शुरू हो जाएगा। यह कोटपूतली-बहरोड़, सीकर, जयपुर, अजमेर जिले से होकर गुजरेगा। 6000 करोड़ से बनने वाले 208 किमी लंबे एक्सप्रेस-वे का रोड मैप पहली बार दैनिक भास्कर बता र

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कोटपूतली से किशनगढ़ पहुंचने में 6 घंटे की बजाय दो घंटे लगेंगे। एक्सप्रेस-वे पर 9 एंट्री-एग्जिट पाॅइंट होंगे। एंट्री-एग्जिट पाॅइंट की आपस में दूरी 25 से 30 किमी होगी। लैंड मार्किंग का काम शुरू हो चुका है। प्रोजेक्ट में 2200 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी।

100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनाए जाएंगे

किसानों के आवागमन की सुविधा के लिए एक से दो किमी के बीच एक अंडरपास बनाया जाएगा। नेशनल और स्टेट हाइवे पर फ्लाईओवर बनेंगे। 208 किमी लंबे रूट पर 100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनेंगे। एक्सीडेंट कंट्रो​लिंग और सफर का समय कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर, थ्री व्हीलर और टू-व्हीलर की एंट्री नहीं होगी। एंट्री पॉइंट पर गाड़ी नंबर स्कैंन होगा। जिस प्वाइंट से एग्जिट होगी, उतनी दूरी का ही टोल कटेगा।

किसानों के आवागमन की सुविधा के लिए एक से दो किमी के बीच एक अंडरपास बनाया जाएगा। नेशनल और स्टेट हाइवे पर फ्लाईओवर बनेंगे। 208 किमी लंबे रूट पर 100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनेंगे। एक्सीडेंट कंट्रो​लिंग और सफर का समय कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर, थ्री व्हीलर और टू-व्हीलर की एंट्री नहीं होगी। एंट्री पॉइंट पर गाड़ी नंबर स्कैंन होगा। जिस प्वाइंट से एग्जिट होगी, उतनी दूरी का ही टोल कटेगा।

  • एंट्री-एग्जिट पॉइंट नीमकाथाना-कोटपूतली रोड पर नारहेड़ा और किशनगढ़ में एनएच48 भीलवाड़ा रोड से एंट्री-एग्जिट की शुरुआत।
  • ऐसे बचेगा टाइम दिल्ली-अजमेर जाने वाले जयपुर व कोटपूतली में जाम से बचेंगे। कोटपूतली से किशनगढ़ का सफर 208 किमी रह जाएगा।
  • गोडाउन एरिया गोडाउन एरिया डवलप होगा। इसका फायदा ये होगा कि व्यापारी माल लोड-अनलोड कर सकेंगे।
  • विरोध भी : जमीन अधिग्रहण का विरोध हो रहा है। किसानों का तर्क है कि खेती की जमीन जाने से वे बेरोजगार के साथ बेघर हो जाएंगे।



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The first bio-CNG production plant will be built in Barmer. | बायो सीएनजी उत्पादन का पहला प्लांट बनेगा बाड़मेर में: 32 करोड़ के प्लांट में नेपियर से 6.50 टन रोज बनेगी बायो सीएनजी – Barmer News



चौहटन क्षेत्र के ईटादा रोड पर 28 बीघों में निर्माणाधीन बायो सीएनजी का प्लांट।

बायो सीएनजी गैस उत्पादन के लिए नेपियर घास पर आधारित प्रदेश का पहला ऐसा बायो सीएनजी प्लांट बाड़मेर जिले में लग रहा है। यह रोज 6.50 टन उत्पादन करेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूरा प्रोजेक्ट ईको फ्रैंडली है। इससे बायो सीएनजी निकलने के बाद लिक्विड और सू

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सांचौर की एक निजी कंपनी ने चौहटन क्षेत्र के कोनरा व ईटादा के बीच करीब 28 बीघा जमीन पर बायो सीएनजी का प्लांट विकसित किया जा रहा है। यह प्लांट करीब 32 करोड़ रुपए में तैयार होगा। दावा है कि इसका निर्माण करीब 8 माह में हो जाएगा। फाउंडेशन पूरा होने के बाद बड़े टैंक बनेंगे, जिसमें नेपियर घास का प्रोसेस करके बायो सीएनजी बनाई जाएगी।

नेपियर घास के लिए कुछ किसानों से एग्रीमेंट किया है और उनके खेतों में घास के बिजाई और डंठल रोपाई करवाई है। कंपनी ने यहां पर नेपियर घास की गुणवत्ता की पहले जांच की, उसके बाद ही इस क्षेत्र में बायो सीएनजी प्लांट लगाने का निर्णय किया।

6 किसानों से 30 हेक्टेयर भूमि पर नेपियर घास उगाने का एग्रीमेंट

धनाऊ तहसील में निजी कंपनी ने बायो नेपियर घास उगाने के लिए 6 किसानों से 10 साल के लिए एग्रीमेंट किया है। यह घास कुल 30 हेक्टेयर जमीन पर उगाई जा रही है। करीब आठ से दस माह में जब तक प्लांट तैयार होगा, तब तक घास भी परिपक्व हो जाएगी। इन किसानों को 75 टन प्रतिदिन नेपियर घास देनी होगी और 1 हजार रुपए प्रति टन की कीमत से उन्हें हर माह रुपए दिए जाएंगे। चौहटन क्षेत्र की प्रकृति और परिस्थिति देखने के बाद यहां पर नेपियर घास का टेस्ट करवाया गया। इसके बाद यहां पर बायो सीएनजी गैस का प्लांट लगाने की योजना बनाई।

लिक्विड व सूखी खाद भी बनेगी,यह ज्यादा उपजाऊ

नेपियर घास और इसके वेस्टेज के अलावा गोबर, सड़ी गली सब्जियों सहित अन्य वेस्ट फसलों से बायो सीएनजी का उत्पादन किया जाएगा। 6.50 टन रोज सीएनजी उत्पादन होने के बाद इसका जो वेस्ट निकलेगा, वह फसलों के लिए उपयोगी है। यह लिक्विड और सूखा दोनों फॉर्मेट में मिलेगा। इसे किसान खेतों में छिड़ककर अपनी फसलों का उत्पाद बढ़ा सकते हैं। यह खाद केंचुआ खाद से कई गुणा ज्यादा पौष्टिक होती है। नेपियर घास उगाने से आसपास के किसानों को अच्छी कीमत मिलने के साथ ही स्थायी रोजगार मिलने की भी संभावना बढ़ गई है। यह प्रोजेक्ट ग्रीन और ईको फ्रैंडली है।

भास्कर एक्सपर्ट -डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक, जोधपुर

नेपियर घास डेढ़ से दो माह में तैयार हो जाती है। एक साल में छह से सात बार कटाई कर सकते हैं। इसके लिए हरी, ताजी घास सबसे बेहतर मानी जाती है। घास के एक से दो सेमी. के टुकड़ों में काटते हैं ताकि गैस उत्पादन तेज हो सके। कटे हुए घास के टुकड़ों को पानी में घोल बनाते हैं, जिसका अनुपात डेढ़ गुना रहता है। यानि एक किलो घास के टुकड़े तो डेढ़ लीटर पानी होता है। यह घोल गाढ़ा, लेकिन बहने योग्य होता है। इस घोल को बायो गैस प्लांट (डाइजेस्टर) में डाला जाता है। इसमें ऑक्सीजन नहीं होती है। इसे बैक्टीरिया तीस से चालीस दिन में घास को तोड़ते हैं। इसमें मीथेन गैस 55 से 65 फीसदी पैदा होती है, इसके अलावा अन्य गैसों सहित नमी होती है।

यह कच्ची बायोगैस होती है। इसे साफ करने के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड व नमी को हटाया जाता है। इसके बाद शुद्ध मीथेन गैस बचती है। इसे 200-250 बार प्रेशर पर कम्प्रेस कर सिलेंडरों में भरा जाता है और यही बायो सीएनजी होती है। इसके बाद जो वेस्ट पदार्थ बचता है, वह जैविक खाद होती है।



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Khabar Hatke Trending Facts; Ants perform medical surgery| offbeat viral news | खबर हटके- चींटियां टांग काटकर मेडिकल सर्जरी कर रहीं: गांव में 30 साल बाद बच्चा जन्मा; पेड़ों को गले लगाकर अकेलापन दूर कर रहे लड़के


चींटियां टांग काटकर डॉक्टरों की तरह मेडिकल सर्जरी कर रही हैं। वहीं, इटली के गांव में 30 साल बाद बच्चा जन्मा है।

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तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ…

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रिसर्च सहयोग: किशन कुमार

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Voter registration camps will be held today for the deprived sections. | विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम: वंचित वर्गों के लिए आज लगेंगे मतदाता पंजीकरण के शिविर – Barmer News



निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार बाड़मेर जिले में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत कोई भी पात्र मतदाता पंजीकरण से वंचित नहीं रहे, इसके लिए समावेशी लोकतंत्र की दिशा में कदम बढ़ाते हुए समाज के वंचित वर्गों, विशेष योग्यजनों और ट्रांसजेंडर समुदाय

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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक सुरेन्द्र प्रताप सिंह भाटी ने बताया कि 15 जनवरी 2026 तक चलने वाले दावों और आपत्तियों के चरण के दौरान 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके पात्र व्यक्तियों का शत-प्रतिशत पंजीकरण सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सोमवार को विशेष योग्यजन मतदाता पंजीकरण शिविर एवं 6 जनवरी 2026 को ट्रांसजेंडर एवं विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्ध-घुमंतू जनजातियों के लिए विशेष कैंप आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मतदाता अपने नजदीकी राजकीय अम्बेडकर छात्रावास में जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। सहायता के लिए संबंधित छात्रावास अधीक्षक से भी संपर्क किया जा सकता है।



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One light and all the world produced | एक नूर ते सब जग उपजाया: सलमान अली बच्चों को सिखाते हैं गुरुवाणी, गुरुद्वारों में शबद कीर्तन भी करते हैं – Bharatpur News



धार्मिक कट्टरता के माहौल के बीच सलमान अली जैसे अभी भी कुछ लोग हैं, जो दीपक बनकर सद्भाव की लौ जलाए हैं। सलमान अली संगीत से जुड़े हैं और बच्चों को गुरुवाणी सिखा रहे हैं। अब तक करीब 28 से ज्यादा बच्चों को उन्होंने गुरुवाणी सिखाई है। इनमें से 8 से ज्यादा

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बच्चों के साथ सलमान अली भी संगत करते हैं। सत्ताईस वर्षीय सलमान अली खानदानी गवैये हैं। उनके बाप-दादा भी शास्त्रीय संगीत गायन और वादन से जुड़े रहे हैं। मूलत: राया, जिला मथुरा के निवासी सलमान काफी समय से भरतपुर में रह रहे हैं और बच्चों को गुरुवाणी सहित शास्त्रीय संगीत सिखा रहे हैं। नतीजा सकारात्मक है।

श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष एवं पूर्व डिप्टी मेयर इंद्रपाल सिंह कहते हैं कि इन बच्चों का अपना अलग रागी जत्था है, जो पाई बाग स्थित मुख्य गुरुद्वारे सहित शहर के अन्य गुरुद्वारों में शबद कीर्तन करने आते हैं। ये बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक आस्था से जुड़कर गुरुवाणी सीख रहे हैं। प्रमुख पर्वों पर सजने वाले दीवानों में इस बाल रागी जत्थे को भी शबद कीर्तन का मौका मुहैया होता है।

इन बच्चों ने काफी मेहनत से रागों को पकड़ा है और शब्दों की शुद्धता बताती है कि बच्चे मेहनत और आस्था से गुरुवाणी सीख रहे हैं। हारमोनियम, तबला, गिटार, वायलिन से संगत करते हैं। तबला में तीन ताल, दादरा, दीपचंदी, कहरवा आदि का अभ्यास किया है।

गैर-सिख बच्चे करते हैं लीड…

गुरुवाणी सीख रहे 28 बच्चों में करीब 8 बच्चे गैर-सिख हैं। एक मुस्लिम भी है। करीब 9 बालिकाएं हैं। सदस्यों की उम्र 6 से 14 साल है। सबसे छोटी गायिका चीनत कौर 6 वर्ष की है। रागी जत्थे को लीड सिद्धार्थ गर्ग और गुरुसीरत कौर करती हैं। गैर-सिख बच्चों में टीया जैन, अहान गर्ग, तन्वी शांडिल्य, अहद वली, स्पर्श कुलश्रेष्ठ, अनुष्का सिंह जाट, नंदनी सैनी शामिल हैं। तबला पर अहान गर्ग और हारमोनियम पर स्पर्श कुलश्रेष्ठ संगत करते हैं। इन बच्चों को पारुल गुलाटी ने भी सिखाया है।

छह रागों में सिद्धहस्त, कोई बोले राम-राम कोई खुदाए…

बाल रागी जत्था ने पक्के राग भैरवी, चारुकेसी, नट भैरव, यमन कल्याण, असावरी, बिलावल आदि पर आधारित गुरुवाणी को याद किया है। खास तौर सेअव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजाया, कौन भले को मंदे…,तू मेरा पिता, तू है मेरा माता, तू मेरा बंधु, तू मेरा भ्राता…,भाई रे, गुरु बिन ज्ञान न होवे, पूछो ब्रह्म नारद वेद व्यास ऐ कोई…,कोई बोले राम-राम, कोई खुदाए, कोई सेवे गुसंईया, कोई अल्लाह…,विद्या विचारे ता परोपकारी, जा पंचरासी ता तीर्थवासी…

संगीतज्ञ सलमान अली भी सूफी अंदाज में कहते हैं कि ज्ञानियों ने कहा है कि एक नूर ते सब जग उपजाया… फिर धार्मिक कट्टरता और नफरत की बातें क्यों। इंसान और इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं है। संगीत में ही ब्रह्म है।



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Board strict on 12th practical exams | 12वीं प्रायोगिक परीक्षाओं पर बोर्ड सख्त: ऑब्जर्वर की आवभगत पर रोक, अब सरकारी शिक्षक ही नियुक्त होंगे – Deeg News



राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की ओर से 12वीं बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाओं को लेकर सख्त रुख अपनाया गया है। प्रायोगिक परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से निदेशक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, बीकानेर ने विस्तृत दिशा-निर्देश जा

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बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की परंपराएं नियम विरुद्ध हैं। ये परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करती हैं। बोर्ड का यह निर्णय प्रायोगिक परीक्षाओं को औपचारिकता से निकालकर वास्तविक शैक्षणिक मूल्यांकन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। इसके दीर्घकालीन परिणाम सामने आएंगे।

निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आब्जर्वर के रूप में केवल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत सरकारी शिक्षकों की ही नियुक्ति की जाएगी। निजी विद्यालयों के शिक्षकों को बाह्य-वीक्षक नियुक्त करने पर पूर्ण मनाही रहेगी।

बोर्ड ने संस्था प्रधानों को निर्देशित किया है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता, दबाव या अवांछित गतिविधि की सूचना तत्काल बोर्ड नियंत्रण कक्ष को दी जाए। आवश्यकता होने पर पुलिस एवं जिला शिक्षा अधिकारी से भी सहायता लेने के निर्देश दिए गए हैं।



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People are getting troubled by toll | टोल से परेशान हो रहे लोग: बीडीए की जद बढ़ी तो टोल सीमा में आए कई गांव घर और दफ्तर जाने के लिए भी देना पड़ रहा शुल्क – Bharatpur News



संभाग मुख्यालय होने की वजह से लोगों को घर से ऑफिस आने-जाने तक के लिए भी अब टोल चुकाना पड़ रहा है। वजह ये है कि भरतपुर शहर के आस-पास करीब 10-15 किमी की दूरी तक 3 टोल प्लाजा लुधावई, गिरधरपुर व गुंडवा पर हैं यहां लोगों को रोजाना 50 से 55 रुपए तक खर्च कर

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अब 15 दिसंबर 2024 को सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर यूआईटी की जगह बीडीए (भरतपुर विकास प्राधिकरण) बना दिया। जिसके अंतर्गत भरतपुर शहर के साथ-साथ कुल 210 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है, जिसमें डीग, कुम्हेर और नदबई तहसील के कई गांव शामिल हैं। जैसे अभोर्रा, तालफरा, पूंछरी, गगवाना, कौठेन और रारह आदि शामिल किए गए हैं, जिससे पूरे क्षेत्र का सुनियोजित विकास हो सके।

वहीं दूसरी ओर भरतपुर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेवर से आगे लुधावई, भरतपुर से डीग मार्ग पर महाराजसर के पास गिरधरपुर पर, कंजौली पुल से सेवर-मथुरा बाईपास पर गुंडवा पर टोल प्लाजा शहर के बिल्कुल नजदीक 10 किमी दूरी भी नहीं है। जबकि बीडीए का क्षेत्र 20-22 किमी तक बढ़ गया है और ऐसे में लोगों को हर रोज आने-जाने में टोल देना पड़ रहा है।

1. गिरधरपुर टोल: बृज यूनिवर्सिटी जाने के लिए भी टोल टैक्स देकर जाना पड़ रहा

महाराजसर गिरधरपुर टोल डीग रोड पर आरएसआरडीसी ने लगाया है। यह शहर के नजदीक है और उससे आगे तक शहर का विकास हो चुका है। यूनिवर्सिटी भी उससे आगे है। पढ़ने वाले व नौकरी करने वाले लोगों को रोज जाना पड़ता है। 5 हजार वाहन रोज निकलते हैं।

2. गुंडवा टोल: शहर के सबसे नजदीक टोल, इसके आस पास भी हैं कई गांव

गुंडवा टोल शहर के नजदीक है बाईपास पर टोल है, जहां आस पास कई गांव हैं। ये सेवर से मथुरा जाने वाले रोड पर है और कंजौली रेलवे पुल से टर्न के बाद आस पास के गांवों के बीच है। ये सभी गांव बीडीए क्षेत्र में हैं और लोगों को शहर आने-जाने का भी टोल देना पड़ता है।

3. लुधावई टोल प्लाजा: 10 किमी आगे तक के गांव अब शहर में हो गए शामिल

जयपुर रोड पर लुधावई टोल प्लाजा सेवर से मात्र 3 किमी दूरी पर है। वहीं लुधावई टोल प्लाजा से सिर्फ 10 किमी आगे बांसी तक बीडीए का एरिया हो गया है, जहां अब नई-नई कॉलोनियां भी बनने लगी हैं। हाईवे होने की वजह से यहां हर रोज 15 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं।

लोकल लीडरशिप बहुत कमजोर है

“टोल हमेशा वही वसूलता है जो एजेंसी रोड बनाती है। हम नौकरी करते थे, तब शहर का एरिया कम था। तब ज्यादातर पीडब्ल्यूडी ही सड़क बनाती थी और वही टोल लगाती थी, तब एनएचएआई नहीं थी। उसकी स्थापना तो मेरी सेवानिवृत्ति के बाद हुई है। अब शहर का एक्सटेंशन होते ही टोल भी दूर शिफ्ट करने चाहिए, लोकल लीडरशिप कमजोर है। यही वजह है लोगों को लोकल शहर के बीडीए क्षेत्र में ही रोजाना टोल देना पड़ता है। जयपुर रोड पर लुधावई से आगे बांसी और डीग रोड पर कुम्हेर तक तथा मथुरा रोड पर रारह तक शहर पहुंच गया है और हर रोज हजारों लोग टोल देकर शहर में आते हैं। “

-भास्कर एक्सपर्ट – राजेंद्र सिंह, पूर्व एईएन पीडब्ल्यूडी



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