Chaumun riots: Markets reopened on the second day, people did not leave their homes, police conducted a flag march | चौमूं उपद्रव; दूसरे दिन बाजार खुले, लोग घरों से नहीं निकले, पुलिस का फ्लैग मार्च – Jaipur News


जयपुर | चौमूं में मस्जिद के बाहर रेलिंग लगाने के दौरान हुए उपद्रव के बाद शनिवार को भी इंटरनेट सेवाएं बंद रही। दूसरे दिन बाजार में कई व्यापारियों ने दुकानें तो खोली, लेकिन लोग घरों से नहीं निकले। पुलिस टीमें अलग-अलग इलाके में बार-बार फ्लैग मार्च करती

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पुलिस ने उपद्रव के बाद 125 संदिग्धों को पकड़ा था, जिनसे पूछताछ के बाद 110 को गिरफ्तार किया था। शनिवार को जमानत मिलने के बाद 19 आरोपियों पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए राजकार्य में बाधा डालने और पुलिस पर हमला करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपियों की वीडियो और फोटो से पहचान की गई थी।



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Yamuna Expressway Industrial Development Authority | यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण: औद्योगिक विकास में रोल मॉडल बना नीमराना जापानी जोन, अब यूपी में इसी तर्ज पर बसेगी सिटी – Bhiwadi News


राजस्थान के नीमराना में स्थित जापानी जोन की सफलता अब पूरे देश के लिए मॉडल बन गई है। उत्तर प्रदेश सरकार अब राजस्थान की तर्ज पर ही अपने राज्य में इंडस्ट्रियल जापानी सिटी विकसित करने की तैयारी कर रही है। यूपी का यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिक

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इस दौरान रीको अधिकारियों ने नीमराना जापानी इंडस्ट्रियल पार्क के विकास की पूरी यात्रा, योजना प्रक्रिया और संचालन ढांचे पर विस्तृत जानकारी दी। बताया गया कि किस प्रकार जापानी निवेशकों की आवश्यकताओं के अनुरूप भूमि आवंटन, जोनिंग, आधारभूत ढांचे और यूटिलिटी सेवाओं को विकसित किया गया। अधिकारियों ने विशेष प्रोत्साहन नीतियों, प्रशासनिक सहूलियतों और निवेशकों के लिए तैयार किए गए अनुकूल इकोसिस्टम के बारे में भी बताया प्रदेश के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में रीको द्वारा विकसित नीमराना जापानी जोन देश का पहला ऐसा औद्योगिक क्षेत्र है, जो किसी विशेष देश के लिए समर्पित है। 2007 में शुरू हुआ यह जोन आज जापानी निवेश का सबसे बड़ा केंद्र है। नीमराना में करीब 1161.47 एकड़ में जापानी जोन फैला है। यहां 46 से ज्यादा बड़ी जापानी कंपनियां संचालित हैं।



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Jaipuria Hospital’s treatment system is ‘poor’: Audiometry and speech therapy rooms are locked, staff tell them to come back after 10 days for a test. | जयपुरिया अस्पताल में इलाज का ‘लचर सिस्टम’: ऑडियोमेट्री और स्पीच थैरेपी रूम पर ताला, स्टाफ बोला- जांच करानी है तो 10 दिन बाद आओ – Jaipur News



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आरयूएचएस कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़े जयपुरिया अस्पताल में आने वाले मरीज मर्ज से ज्यादा इलाज के लचर सिस्टम से पीड़ित है। अस्पताल में सुनने की क्षमता की ऑडियोमेट्री ओर बेरा की जांच के लिए एक ही व्यक्ति है। वो भी सप्ताह में तीन दिन जांच करते है, जिससे बधिर सिस्टम से दर्द बढ़ रहा है। इसी माह में बेरा जांच के लिए मूक-बधिर दंपत्ति को अगले साल की 26 मार्च 2026 की तिथि दी है। ऑडियोमेट्री और स्पीच थैरेपी के ताला लगा मिला। स्टाफ ने कहा कि जांच करानी है तो 10 दिन बाद आना।

दवा वितरण केंद्र पर प्रसूताओं की कतार।

ये खामियां मिली; जहां देखो वहां लंबी कतारें

3. गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट की सेवाएं उपलब्ध नहीं: अस्पताल में गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट और दिल के लिए कार्डियोलोजिस्ट जैसे डॉक्टरों की सेवाएं मरीजों को नहीं मिल रही।

1. परिजनों के लिए बनी वाटिका के ताला: ट्रॉमा सेन्टर में आने वाले मरीजों के परिजनों के बैठने के लिए अशोक स्मृति वाटिका बनी है, लेकिन इसके भी ताला लगा मिला, जहां पर साफ-सफाई भी नहीं थी। हालांकि परिजनों के लिए बैठने के लिए अच्छा वातावरण विकसित कर रखा है।

2.निजी संस्थान का बोर्ड: पार्किंग के ऊपर ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग का पिछले 6 माह से बोर्ड लगा है। जिससे यहां पर आने जाने वाले सभी असमंजस की स्थिति में है। जबकि यह बिल्कुल खाली पड़ा है और ताला लगा है। इस तरफ किसी का ध्यान क्यों नहीं गया।



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Zonal railways were running trains on demand at will, but now they will operate according to fixed schedules, requiring prior permission. | जोनल रेलवे मनमर्जी से चला रहे थे ट्रेन ऑन डिमांड, अब तय अवधि के हिसाब से चलेंगी, पहले अनुमति लेना जरूरी – Jaipur News



उत्तर पश्चिम सहित विभिन्न जोनल रेलवे रेगुलर ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट और अतिरिक्त यात्रीभार को देखते हुए चलाई जाने वाली ‘ट्रेन ऑन डिमांड’ स्पेशल ट्रेनों को लेकर रेलवे बोर्ड ने सख्ती बरते हुए नए निर्देश जारी किए हैं।

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बोर्ड का कहना है कि कई जोनल रेलवे मनमाने तरीके से इन स्पेशल ट्रेनों को नोटिफाई और संचालित कर रहे थे, बिना रास्ते में पड़ने वाली (एनरूट) और अंतिम (टर्मिनेटिंग) रेलवे जोन की सहमति लिए। इससे ट्रेनों में असामान्य देरी हो रही थी, जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही शिकायतें बढ़ रही थीं। हाल ही में इंडिगो एयरलाइंस की बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन के दौरान रेलवे ने इस तरह की ट्रेनें चलाकर यात्रियों की मदद की थी, लेकिन उसमें भी बोर्ड ने विशेष छूट दी थी। अब बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि सामान्य परिस्थितियों में ऐसी कोई छूट नहीं दी जाएगी। त्योहार, परीक्षा या अन्य मौसमों में भीड़ पहले से अनुमानित होती है, इसलिए संबंधित जोन को पहले से प्लानिंग करनी होगी।

अब प्लानिंग कर पहले बताना होगा दूसरे जोन को रेलवे बोर्ड के नए निर्देशों के अनुसार, कोई भी ट्रेन ऑन डिमांड स्पेशल ट्रेन नोटिफाई करने से पहले एनरूट और टर्मिनेटिंग रेलवे की अनिवार्य सहमति लेनी होगी। यह सहमति कोचिंग ऑपरेशंस इंफॉर्मेशन सिस्टम (सीओआईएस) के जरिए ली जाएगी और प्रस्तावों का जवाब जल्द से जल्द दिया जाना अनिवार्य है। बोर्ड ने निर्देश दिया है कि ट्रेन ऑन डिमांड की प्लानिंग के दौरान रास्ते में चल रहे नॉन-इंटरलॉकिंग कार्यों को ध्यान में रखा जाए। ऐसे रूटों पर जहां बड़े इंजीनियरिंग कार्य चल रहे हों, सामान्यतः इस तरह की ट्रेन नहीं चलाई जाएगी, क्योंकि इससे नियमित ट्रेनों की पंक्चुअलिटी प्रभावित होती है।

अन्य जोन भी प्रभावित

सबसे बड़ी समस्या यही थी कि ट्रेन चलाने वाला रेलवे जोन बिना सूचना के स्पेशल ट्रेन चला देता था, जिससे अन्य जोन को अचानक तैयारी करनी पड़ती थी। इससे ट्रेनों को मूल स्टेशन पर ही लंबी देरी हो जाती थी और यात्री प्लेटफॉर्म पर घंटों इंतजार करते रहते थे। एक मामले में तो एक स्पेशल ट्रेन को इतनी देरी हुई कि यात्रियों ने बड़े पैमाने पर शिकायतें दर्ज कराईं। अब बोर्ड ने साफ कहा है कि रिजर्व्ड स्पेशल ट्रेनों के लिए किसी भी हाल में एनओसी के बिना नोटिफिकेशन नहीं होगा। अनरिजर्व्ड सेवाओं के लिए अचानक अप्रत्याशित भीड़ बन जाए और सीओआईएस से एनओसी लेने का समय न हो, तो फोन पर सभी संबंधित जोन से अनुमति ली जा सकती है।

पुरानी मंजूरी खत्म होंगी, नए क्लासिफिकेशन से चलेंगी

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह देखा गया है कि अभी ट्रेन ऑन डिमांड अलग-अलग कैटेगरी में चल रही हैं, जैसे क्लोन, एक्स्ट्रा रश, त्योहारों के लिए खास (होली, दिवाली, पूजा आदि)। इतने सारे क्लासिफिकेशन से एमआईएस में दिक्कतें आ रही हैं। रेलवे बोर्ड ने तय किया है कि 28 फरवरी, 2026 के बाद सभी ट्रेन ऑन डिमांड के लिए रेलवे बोर्ड की मंजूरी स्वत: खत्म हो जाएगी। फिर 1 मार्च, 2026 के बाद की अवधि के लिए जोनल रेलवे को नई मंजूरी लेनी होगी। अब इन ट्रेनों को अवधि के आधार पर क्लासिफाई किया जाएगा। होली के लिए मार्च, गर्मी के लिए 15 अप्रैल से 15 जुलाई, पूजा स्पेशल अक्टूबर व नवंबर, सर्दी में 15 दिसंबर से 10 जनवरी और अतिरिक्त यात्रीभार के लिए किसी दूसरी अवधि में इन्हें चलाया जा सकेगा।

यात्री हो रहे थे परेशान

यात्रियों की परेशानी का मुख्य कारण ट्रेनों की देरी और अनियोजित संचालन था। बोर्ड का मानना है कि बेहतर को-ऑर्डिनेशन से न केवल ट्रेन ऑन डिमांड सुचारू चलेंगी, बल्कि नियमित ट्रेनों की समयबद्धता भी बनी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि ये निर्देश रेलवे की कार्यप्रणाली में अनुशासन लाएंगे और यात्रियों को राहत देंगे। रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशंस मैनेजर को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा है।



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Case of Women and Child Development Project Department | महिला एवं बाल विकास परियोजना विभाग का मामला: प्रदेश की इकलौती ऐसी परियोजना जिसका हो रहा है निजी संचालन – Bharatpur News



डीग जिले के कुम्हेर महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय का संचालन पिछले तीन दशकों यानी 1994 से सरकारी कर्मचारियों के बजाय एनजीओ के माध्यम से किया जा रहा है। सबसे दिलचस्प और हैरानी की बात यह है कि पूरे राजस्थान में यह एकमात्र परियोजना है, जिसे निजी

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कार्यालय में आरएस स्तर के सीडीपीओ पद से लेकर अकाउंटेंट, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, चपरासी और चारों एलएस पदों तक सभी पर एनजीओ के लोग ही तैनात हैं। नियमों के अनुसार यह कार्यालय सीधे सरकार द्वारा संचालित होना चाहिए और सभी पदों पर सरकारी अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त होने चाहिए। ऐसे में जब खर्च सरकार उठा रही है तो विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को नियुक्त कर सीधे संचालन किया जाना चाहिए। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सरकार अपनी ही परियोजना को चलाने में असमर्थ है, जिसके चलते एनजीओ पर खर्च कर उनसे संचालन कराया जा रहा है। 1994 से चली आ रही इस व्यवस्था सवालों के घेरे में है।

“राज्य सरकार और एनजीओ के बीच हुए एमओयू के अनुसार 1994 से कुम्हेर महिला एवं बाल विकास परियोजना का संचालन एनजीओ के माध्यम से किया जा रहा है।”

-सीकाराम चोयल, उपनिदेशक, महिला बाल विकास विभाग



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Haryana Kanishk chauhan selection Under-19 World Cup squad | Haryana news | अंडर-19 वर्ल्डकप में चुने हरियाणवी कनिष्क की कहानी: परिवार झज्जर से सिरसा शिफ्ट, डेरे में प्रैक्टिस की; मां बोलीं- 11 दिन में दोहरी खुशी – Jhajjar News


कनिष्क चौहान का अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में चयन होने के बाद उनके घर पर आतिशबाजी की गई।

अंडर-19 वर्ल्डकप के लिए चयनित टीम में हरियाणवी कनिष्क चौहान भी हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने 15 सदस्यीय टीम की घोषणा की। कनिष्क के चयन से जहां उनके झज्जर स्थित पैतृक गांव कुलाना में जश्न का माहौल रहा, वहीं सिरसा में डेरा सच्चा सौदा में

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कनिष्क डेरा द्वारा संचालित शाह जी सतनाम बॉयज कॉलेज में बीए सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैं। वह सालों से डेरे के स्टेडियम में ही प्रैक्टिस कर रहे हैं। पहले उसका परिवार भी सिरसा में शिफ्ट हो गया था। बाद में झज्जर लौट गया। अब कनिष्क ही सिरसा में रहते हैं।

बेटे के वर्ल्डकप टीम में चयन से मां सरिता चौहान की खुशी का ठिकाना नहीं। दैनिक भास्कर एप से बातचीत में बोलीं- पूरे गांव में आतिशबाजी हुई। हम ही नहीं पूरा गांव खुश है। पूरी उम्मीद है कि बेटा मैदान में ऐसी ही आतिशी प्रदर्शन करेगा।

16 दिसंबर को अबू धाबी में हुई IPL-2026 की मिनी ऑक्शन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने 30 लाख रुपए के बेस प्राइस पर खरीदा। कनिष्क दाएं हाथ के बल्लेबाज व ऑफ-ब्रेक स्पिन गेंदबाज हैं।

कनिष्क चौहान अपनी मां सरिता चौहान के साथ। - फाइल फोटो

कनिष्क चौहान अपनी मां सरिता चौहान के साथ। – फाइल फोटो

सिलसिलेवार पढ़ें…कनिष्क के यहां तक पहुंचने की कहानी

  • परिवार मूलरूप से झज्जर के कुलाना गांव का: कनिष्क के पिता प्रदीप कुमार खेतीबाड़ी करते हैं और माता सरिता गृहिणी हैं। कनिष्क का जन्म 26 सितंबर 2006 को हुआ। वह परिवार के इकलौते बेटे हैं। कनिष्क ने बचपन से ही क्रिकेट में दिलचस्पी दिखाई। 4 साल की उम्र में ही गाजियाबाद में एकेडमी जॉइन की।
  • 8 साल की उम्र में डेरा की एकेडमी में चयन: 8 साल की उम्र में कनिष्क ने सिरसा में ट्रायल दिया। डेरा सच्चा सौदा में फैसिलिटी अच्छी थी, तो वहीं पर कोचिंग रेगुलर कर दी। बेटे की तैयारी के लिए साल 2014 में परिवार ने झज्जर से सिरसा शिफ्ट कर लिया। कनिष्क ने डेरा सच्चा सौदा के शाह जी सतनाम स्टेडियम में क्रिकेट खेलना शुरू किया। कनिष्क की मां सरिता बताती हैं कि परिवार डेरे को लेकर ज्यादा कुछ नहीं जानता था। हालांकि, कनिष्क की दादी बहुत मानती थी और अब तो वे सब भी उनको मानते हैं।
  • साल 2024 में पहली बार इंटरनेशनल स्तर पर मौका: करीब 14-15 साल की तपस्या के बाद कनिष्क को पहली बार इंटरनेशनल खेलने का मौका साल 2024 में मिला। जब अंडर-19 टीम में चयन हुआ। इंग्लैंड की टीम के साथ डेब्यू मैच खेला। कनिष्क ने इंग्लैंड में 5 वनडे मैच खेले, जिनमें 8 विकेट चटकाए। साथ ही 114 रन बनाए थे। इस प्रदर्शन के लिए कनिष्क को बेस्ट ऑल राउंडर ऑफ द सीरीज का पुरस्कार मिला।
  • इंग्लैंड में प्रदर्शन के आधार पर ऑस्ट्रेलिया में मौका मिला: इंग्लैंड के अपने पहले दौरे पर किए प्रदर्शन के आधार पर कनिष्क का चयन ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए हुआ। फिर चैलेंजर ट्रॉफी और अफगानिस्तान के साथ खेले। उनमें परफॉर्मेंस के आधार पर ही अंडर-19 एशिया कप के लिए टीम में नाम आया।
  • एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच जिताऊ प्रदर्शन: कनिष्क ने अंडर-19 एशिया कप के लीग मुकाबलों में पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन ऑलराउंड प्रदर्शन किया। 14 दिसंबर को हुए मैच में उनके बल्ले से 48 रन निकले और 3 विकेट भी लिए। हरफनमौला प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच पुरस्कार मिला। अब वर्ल्ड कप टीम में चयन के पीछे यह प्रदर्शन आधार बना।
IPL के लिए RCB में चयन के बाद का कनिष्क चौहान का फोटो।

IPL के लिए RCB में चयन के बाद का कनिष्क चौहान का फोटो।

मां को क्रिकेट का शौक, खुद खिलाड़ी बनना चाहती थीं कनिष्क की मां सरिता चौहान बताती हैं- मुझे खुद क्रिकेट का बहुत शौक था। कभी खुद के मन में भी इच्छा थी कि क्रिकेटर बनूं। मायका गाजियाबाद में है। इसलिए, कनिष्क जब 4 साल का था, तभी उसे गाजियाबाद में एकेडमी जॉइन कराई। अब तो पूरा परिवार क्रिकेट देखता है। कनिष्क को क्रिकेटर बनाना मेरी इच्छा रही है।

मां बोलीं- वर्ल्ड कप में भी धुम्मे ठावेगा कनिष्क की मां सरिता चौहान ने कहा कि पूरा परिवार कनिष्क के वर्ल्ड कप में चयन से बेहद खुश है और गांव में भी खुशी का माहौल है। कनिष्क दक्षिण अफ्रीका के दौरे के बाद वर्ल्ड कप के लिए जिम्बाब्वे वर्ल्ड कप के लिए जाएगा। कनिष्क ने एशिया कप में अच्छा प्रदर्शन किया और आज वर्ल्ड कप के लिए सिलेक्शन भी हो गया। उम्मीद है कि वर्ल्ड कप भी धुम्मे ठावेगा।



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Rohtak Maya Beauty Parlour Murder: Eyewitness Reveals Chilling Details | रोहतक में ब्यूटी पार्लर संचालिका मर्डर में चश्मदीद के बयान: भाई ने गला घोंटा, मरी समझ जमीन पर पटका, सिसकी निकली तो चाकू से गर्दन रेती – Rohtak News


रोहतक में ब्यूटी पॉर्लर में जांच करने पहुंची पुलिस। इनसेट में संचालक माया की फाइल फोटो।

हरियाणा के रोहतक में माया ब्यूटी पार्लर की संचालक माया की गला रेतकर हत्या करने के मामले में इकलौती चश्मदीद गवाह सामने आई है। 19 साल की गवाह लक्ष्मी ने पुलिस व मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करवा दिए हैं। लक्ष्मी ने आखिरी पलों की जो कहानी बताई है, वो र

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माया के भाई ज्वाला प्रसाद ने पार्लर में घुसते ही बहन का गला पकड़ा लिया। वह तक तक गला घोंटता रहा, जब तक वो बेसुध नहीं हुई। फिर उसे मरी समझ फर्श पर पटक दिया। इससे अचानक माया की आखिरी सिसकी निकली। कहीं वो बच न जाए इस अंदेशे के चलते ज्वाला प्रसाद ने चाकू से गर्दन रेत दी।

ओल्ड सब्जी मंडी पुलिस ज्वाला प्रसाद को 3 दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। रविवार को पुलिस आरोपी को ब्यूटी पार्लर ले जाकर सीन री-क्रिएट करेगी।

रोहतक के खोखराकोट में ब्यूटी पार्लर में काम सीखने वाली लक्ष्मी का घर, जिसने मर्डर होते हुए देखा।

रोहतक के खोखराकोट में ब्यूटी पार्लर में काम सीखने वाली लक्ष्मी का घर, जिसने मर्डर होते हुए देखा।

सिलसिलेवार पढ़ें…चश्मदीद की जुबानी आखिरी खौफनाक पलों की कहानी

  • माया और उसकी ट्रेनी हेल्पर लक्ष्मी ही थी पार्लर में: गुरुवार सुबह करीब सवा 10 बजे यानी वारदात के दिन ब्यूटी पार्लर में माया और उसकी ट्रेनी हेल्पर लक्ष्मी मौजूद थी। लक्ष्मी ने करीब 6 महीने पहले ही पार्लर में काम सीखना शुरू किया था। इसके लिए 30 हजार रुपए की फीस अदा की थी। अब माया मर्डर केस में लक्ष्मी ही इकलौती चश्मदीद गवाह है। आरोपी को सजा दिलाने में उसकी गवाही काफी महत्वपूर्ण रहेगी।
  • दरवाजा खोलते ही माया का गला पकड़ा: लक्ष्मी ने अपने बयान में बताया कि ज्वाला प्रसाद ने दरवाजा खोलते ही सबसे पहले माया पर झपटा मारा। ऐसा लगा कि उसके सिर पर खून सवार था। अचानक जकड़न में आई माया छूटने के लिए छटपटाई। अचानक हुए हमले से वो संभल नहीं पाई। ज्वाला तब तक माया का गला घोंटता रहा, जब तक कि उसकी सांस चलनी बंद नहीं हुई। माया की आंखों से आंसू बह रहे थे, वो छटपटा रही थी, लेकिन छूट नहीं पा रही थी। फिर वो निढाल हो गई।
  • अचानक सिसकी आई तो ज्वाला फिर टूट पड़ा: उसके शरीर की हरकत बंद हो गई और भाई से छूटने की कोशिश भी थम गई। तब ज्वाला ने उसे फर्श पर पटक दिया। मान लिया कि वो मर गई है। जमीन पर निढाल पड़ी माया का शरीर कुछ देर के लिए शांत रहा, फिर अचानक लंबी सिसकी आई। मानो वो उसकी आखिरी सांस थी। तभी ज्वाला फिर उसके ऊपर टूट पड़ा। उसने आगे की तरफ से चाकू से गला काट दिया। खून की धार निकली और माया का शरीर में कोई हलचल नहीं बची।
  • लक्ष्मी ने बचाने की कोशिश की: जब ज्वाला बहन माया का गला घोंट रहा था तो पास खड़ी लक्ष्मी ने उसे छुड़ाने की कोशिश की। ज्वाला ने उसे जोर से कोहनी मारी। जिससे लक्ष्मी गिर गई। वह इतनी सहम गई कि वह दोबारा छुड़वाने की कोशिश नहीं कर सकी। माया का गला काटने के बाद ज्वाला ने फिर लक्ष्मी की ओर देखा तो वो और डर गई। डर के मारे उसका शरीर कांप रहा था। उसने हाथ जोड़कर कहा- मुझे जाने दो, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी। ज्वाला प्रसाद ने कहा-निकल जा यहां से।

पिता को लिपटकर बेहोश हुई लक्ष्मी आंखों के सामने माया की हत्या होते देखकर लक्ष्मी काफी डर गई। इसके बाद घबराई हुई लक्ष्मी ब्यूटी पार्लर से निकलकर सीधे अपने घर खोखराकोट पहुंची। पिता कर्मबीर से लिपटकर बोली- माया की गला काटकर हत्या कर दी। इतना कहते ही लक्ष्मी बेहोश हो गई। उसे जनता क्लिनिक ले जाया गया।

28 घंटे बाद लक्ष्मी ने खाया खाना गुरुवार सुबह हुए मर्डर को देखने के बाद लक्ष्मी काफी डरी हुई थी। उसे खाना तक नहीं खाया। शुक्रवार को थाने में जब लक्ष्मी पहुंची तो काफी घबराई हुई थी। इसके बाद पुलिस ने कई घंटे लक्ष्मी की काउंसलिंग की और उसे खाना खिलाया। मर्डर के करीब 28 घंटे बाद लक्ष्मी ने खाना खाया। पुलिस ने उसके बयान दर्ज किए।

लक्ष्मी के पिता कर्मबीर ने बताया कि लक्ष्मी अब भी काफी डरी हुई है।

लक्ष्मी के पिता कर्मबीर ने बताया कि लक्ष्मी अब भी काफी डरी हुई है।

काम सीखने ब्यूटी पार्लर जाती थी लक्ष्मी लक्ष्मी एक साधारण परिवार से संबंध रखती है, जिसके पिता कर्मबीर हलवाई का काम करते हैं। माया के ब्यूटी पार्लर में लक्ष्मी को काम सीखते हुए करीब 6 महीने हुए थे। इसके लिए लक्ष्मी के परिवार ने माया को पैसे भी दे रखे थे।

क्राइम सीन रीक्रिएट करवाएगी पुलिस ओल्ड सब्जी मंडी थाना की जांच अधिकारी एसआई मीनाक्षी दहिया ने बताया कि पुलिस मामले में जांच कर रही है। मजिस्ट्रेट के सामने लक्ष्मी के बयान करवाए गए हैं। 3 दिन के रिमांड पर आरोपी ज्वाला प्रसाद से पूछताछ चल रही है। पुलिस मामले में क्राइम सीन रीक्रिएट करवाकर सबूतों की तलाश करेगी। साथ ही आसपास के सीसीटीवी फुटेज की तलाश भी कर रहे हैं।



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Jeeto Jaipur Pickleball League tournament concludes | जीतो जयपुर पिकलबॉल लीग टूर्नामेंट का समापन – Jaipur News


जयपुर57 मिनट पहले

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जयपुर | जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन जयपुर चैप्टर की ओर से पिकलबॉल लीग टूर्नामेंट का समापन हुआ। 250 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। चैप्टर की चेयरपर्सन सलोनी जैन एवं चीफ सेक्रेटरी हितेश भांडिया ने कहा जीतो का उद्देश्य खेल, स्वास्थ्य और समाज को ज



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Himachal Tourist Place New year Shimla Kinnaur Lahaul and Spiti Manali | हिमाचल के शिपकिला से दिखता चीनी गांव: विदेशी टूरिस्ट नॉट अलाउड; न्यू ईयर पर भीड़ से दूर 5 टूरिस्ट प्लेस, जानें यहां क्या खास, कैसे पहुंचें – Shimla News


हिमाचल में टूरिज्म का ट्रेंड बदल रहा है। पहले टूरिस्ट शिमला, मनाली, कसौली, धर्मशाला और डलहौजी तक सीमित टूरिज्म अब ऊंचे दर्रों, ट्रेकिंग रूट्स और ऑफ-बीट चोटियों की ओर शिफ्ट हो रहा है। इन जगह, टूरिस्ट विभिन्न प्रकार की एडवेंचर एक्टिविटीज, नेचुरल ब्यूटी

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न्यू ईयर पर पहाड़ों में घूमने के शौकीनों के लिए ‘दैनिक भास्कर एप’ आज आपको हिमाचल के 5 ऐसे नए टॉप टूरिस्ट डेस्टिनेशन की जानकारी देगा, जहां शहरों जैसी भीड़भाड़ नहीं है। बल्कि यहां टूरिस्ट प्रकृति की गोद में एंजॉय कर सकते हैं। खासकर विंटर टूरिज्म के लिए यह हॉटस्पॉट बनते जा रहे हैं। यहां रोड कनेक्टिविटी और सुरंगों की वजह से भी टूरिस्ट अट्रेक्ट हो रहे हैं।

ये 5 टूरिस्ट डेस्टिनेशन लाहौल स्पीति में शिंकुला पास, रोहतांग दर्रा, किन्नौर जिला में शिपकिला, शिमला में महासू पीक और कुल्लू में खीरगंगा (कसौल) है। इनमें शिपकिला तो ऐसा टूरिस्ट स्पॉट है, जहां से चीन का गांव तक दिखाई देता है। इन टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट…

लाहौल स्पीति जिला के शिंकुला दर्रा में बर्फ के बीच मस्ती करते हुए टूरिस्ट।

लाहौल स्पीति जिला के शिंकुला दर्रा में बर्फ के बीच मस्ती करते हुए टूरिस्ट।

1. शिकुला पास: यहां पर अच्छी बर्फ, पहले रोक रहती थी जो टूरिस्ट हिमाचल में बर्फ देखना चाहते है, वह शिंकुला पास में अच्छी बर्फ देख सकते हैं। समुद्र तल से करीब 16,580 फीट की ऊंचाई पर स्थित शिंकुला पास के लिए कुछ साल पहले 15 नवंबर के बाद ही वाहनों की आवाजाही रोक दी जाती थी। इसकी वजह भारी हिमपात होना था। मगर 3-4 साल से नवंबर-दिसंबर में बहुत कम बर्फबारी हुई है। इसलिए, टूरिस्ट यहां जा सकता है। हालांकि, सड़क पर बर्फ जमे होने की वजह से यहां केवल फोर बॉय फोर व्हीकल में ही जाने की अनुमति है।

क्या-क्या देख सकते हैं: शिंकुला पास में बर्फ से ढकी चोटियां, ग्लेशियर और जांस्कर घाटी का अद्भुत नजारा दिखता है। यह जगह लद्दाख और हिमाचल के बीच नया टूरिस्ट गेटवे बन रहा है। यहां पर टूरिस्ट स्नो स्कूटर का आनंद, स्कीइंग और बर्फ के बीच अठखेलियां करते देखे जा सकते।

ठहरने की व्यवस्था: शिंकुला पास में ठहरने की व्यवस्था नहीं है। इसलिए, टूरिस्ट को रात्रि ठहराव के लिए या तो लाहौल स्पीति के दारचा, जिस्पा या फिर उदयपुर लौटना पड़ता है। कुछ टूरिस्ट शिंकुला दर्रा घूमने के बाद वापस मनाली भी लौटते हैं। मनाली से शिंकुला पास की दूरी लगभग 131 किलोमीटर और चंडीगढ़ से लगभग 440 किलोमीटर की दूरी है। शिंकुला पहुंचने के लिए टूरिस्ट को पहले चंडीगढ़-मनाली फोरलेन से पर्यटन नगरी मनाली पहुंचना पड़ता है।

क्या अलग- पूरे हिमाचल में इस वक्त जिन 2 जगहों पर बर्फ है, उनमें एक शिंकुला पास है। इसके अलावा लाहौल स्पीति में पुराने फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन अटल टनल रोहतांग, सिस्सू, कोकसर, केलांग है।

शिंकुला दर्रा में बर्फ के बीच मस्ती करते हुए टूरिस्ट।

शिंकुला दर्रा में बर्फ के बीच मस्ती करते हुए टूरिस्ट।

2. रोहतांग दर्रा: टूरिस्टों के लिए ओपन रोहतांग दर्रा भी तीन-चार साल पहले तक 15 नवंबर के बाद भारी बर्फबारी होते ही टूरिस्ट के लिए बंद कर दिया जाता था। मगर अब बहुत कम बर्फ गिर रही है। इस वजह से विंटर सीजन में अभी भी रोहतांग दर्रा टूरिस्टों के लिए ओपन है। मनाली पहुंचने वाले अधिकांश टूरिस्ट बर्फ देखने के लिए रोहतांग पहुंच रहे हैं।

क्या देख सकते हैं: रोहतांग दर्रा अब सिर्फ ट्रांजिट रूट नहीं, बल्कि खुद में एक डेस्टिनेशन बन चुका है। बर्फबारी, स्नो-स्कूटर, फोटोग्राफी और ऊंचे पहाड़ी दृश्य यहां का मुख्य आकर्षण हैं।

ठहरने की व्यवस्था: रोहतांग दर्रा में ठहरने के लिए होटल की व्यवस्था नहीं है। रात्रि ठहराव के लिए टूरिस्ट को वापस मनाली लौटना होता है। या फिर टूरिस्ट सिस्सू व कोकसर में होम-स्टे में भी रुक सकते हैं। चंडीगढ़ से रोहतांग दर्रा की दूरी लगभग 310 किमी और मनाली से लगभग 51 किलोमीटर है।

कैसे अलग: रोहतांग दर्रा भारी बर्फबारी के लिए मशहूर है। यहां पर सर्दियों में 15 से 20 फीट बर्फबारी होती है। हालांकि, अभी कम स्नोफॉल है। यहां पहुंचकर टूरिस्ट बर्फ का आनंद उठा सकते हैं।

रोहतांग पास में बर्फ के बीच मौज मस्ती करते हुए टूरिस्ट।

रोहतांग पास में बर्फ के बीच मौज मस्ती करते हुए टूरिस्ट।

3. शिपकिला (किन्नौर-तिब्बत बॉर्डर): यहां से चीनी गांव दिखता किन्नौर जिला में शिपकिला नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभरा है। देशभर, से टूरिस्ट भारत-चीन (अधिकृत तिब्बत) बॉर्डर पहुंच रहे हैं। 13,200 फीट की ऊंचाई शिपकिला पहुंचने के लिए टूरिस्ट को सेना और ITBP द्वारा जारी प्रोटोकॉल का पालन करना होता है। पर्यटकों को आधार कार्ड दिखाने और पहचान दिखाने के बाद ही यहां जाने की अनुमति दी जाती है।

हालांकि, अभी यहां पर विदेशी टूरिस्ट अलाउड नहीं है। इस साल 10 जून को ही सीएम सुखविंदर सुक्खू ने शिपकिला को पर्यटन गतिविधियों के लिए ओपन किया था। अगले साल इसी मार्ग से भारत और चीन के बीच व्यापार भी शुरू होने वाला है। आजादी से पहले शिपकिला दर्रा के रास्ते भारत-चीन के बीच व्यापार होता था।

इसे इंडिया का सिल्क रूट भी कहा जाता था। 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया था, उस दौरान भी इसे बंद किया गया। 1993 में फिर से व्यापार शुरू हो गया, लेकिन तब केवल व्यापारियों को ही यहां जाने की अनुमति थी। 2020 में कोरोना काल में इसे दोबारा बंद किया गया।

क्या देख सकते हैं: शिपकिला जाने वाले टूरिस्ट खाब के साथ नाको, चांगो जैसे पर्यटन स्थलों को देख सकते हैं। खाब में सतलुज और स्पिति नदी का संगम है। नाको में मॉनेस्ट्री और लेक देख सकेंगे। किन्नौर जिला में अभी हेली-टैक्सी की सुविधा नहीं है। हालांकि, राज्य सरकार ने रिकांगपिओ तक हेली टैक्सी सेवा शुरू करने का केंद्र सरकार को प्रस्ताव जरूर भेज रखा है। आमतौर पर शिपकिला भी सर्दियों में दो से तीन महीने बर्फ से ढका रहता है, लेकिन दो तीन सालों से यहां भी बहुत कम बर्फ गिरी है। इस साल अब तक बर्फ नहीं गिरी।

ठहरने की व्यवस्था: शिपकिला में ठहरने की व्यवस्था नहीं है। नाइट स्टे के लिए नाको, ताबो और काजा वापस लौटना पड़ता है। शिपकिला, काजा से करीब 110 किलोमीटर दूरी पर है।

कैसे पहुंचे: शिपकिला जाने के लिए टूरिस्ट को पहले बस-ट्रेन या फिर छोटे वाहन से पहले शिमला पहुंचना पड़ता है। इसके बाद, एनएच-5 के रास्ते किन्नौर और फिर खाब पहुंचना होगा। यहां से लिंक रोड से शिपकिला जाने के लिए टैक्सी हायर करनी होगी। अपने पर्सनल व्हीकल से भी लोग शिपकिला तक जा सकेंगे। शिपकिला चंडीगढ़ से लगभग 400 किमी दूर है।

कैसे अलग: यह केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि सामरिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह कम भीड़ वाला क्षेत्र है। जिला में पुराने फेमस डेस्टिनेशन कैलाश पर्वत,सांगला वैली है।

किन्नौर जिला में नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन शिपकिला जाते हुए पर्यटक।

किन्नौर जिला में नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन शिपकिला जाते हुए पर्यटक।

4. महासू पीक (शिमला ): हिमालय-कैलाश पर्वत देख सकते हैं शिमला जिला में महासू पीक नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभर रहा है। यहां पर भी तीन-चारों सालों से काफी संख्या में टूरिस्ट बर्फ देखने की चाहत में पहुंच रहा है। यहां पर अब तक बर्फ तो नहीं गिरी। मगर तरह तरह की एडवेंचर एक्टिविटी, होर्स राइडिंग, याक की सवारी का भी आनंद उठाते हैं।

क्या देख सकते हैं: लगभग 9300 फीट की ऊंचाई पर स्थित महासू पीक से दूरबीन के माध्यम से टूरिस्ट हिमालय और कैलाश पर्वत का नजारा देख सकते हैं। यहां घने देवदार के घने जंगल, ट्रेकिंग रूट है।

ठहरने की व्यवस्था: चंडीगढ़ से महासू पीक लगभग 138 किलोमीटर दूर है। यहां जाने को पहले शिमला पहुंचना पड़ता है। महासू पीक से सटे, कुफरी, चियोग में काफी संख्या में होटल और होम स्टे है। इसलिए, यहां पर ठहरने में किसी प्रकार की समस्या नहीं रहती। टूरिस्ट चाहे तो वह नाइट स्टे के लिए शिमला भी लौट सकता है। शिमला से महासू पीक लगभग 17 किलोमीटर दूर है।

क्या अलग- शिमला शहर की तुलना में यहां देवदार के ज्यादा घने जंगल है। एशिया का सबसे घना देवदार का जंगल भी महासू पीक के साथ लगता है। यहां पर टूरिस्ट को सुकून मिलता है। जिला में पुराने फेमस डेस्टिनेशन शिमला, रिज, मॉल रोड, नालदेहरा इत्यादि है।

शिमला से लगभग 18 किलोमीटर दूर महासू पीक में दूरबीन से सामने कैलाश पर्वत और हिमालय को देखते हुए टूरिस्ट।

शिमला से लगभग 18 किलोमीटर दूर महासू पीक में दूरबीन से सामने कैलाश पर्वत और हिमालय को देखते हुए टूरिस्ट।

5. खीरगंगा (कसौल-पार्वती घाटी)- कुल्लू जिला में खीरगंगा भी नया डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। मनाली, कुल्लू, मणिकर्ण जाने वाले टूरिस्ट मौज मस्ती के लिए खीरगंगा जाना नहीं भूलते। यह कसौल से कुछ दूरी पर स्थित है। यहां पर देशी के साथ साथ विदेशी पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंचते हैं। यहां पर भी सर्दियों में भारी हिमपात होता है, लेकिन इस बार बर्फ नहीं गिरी।

क्या देख सकते हैं: खीरगंगा अपने हॉट वाटर स्प्रिंग, बर्फीली चोटियों और ट्रेकिंग के लिए फेमस है। पार्वती घाटी का यह इलाका युवाओं और विदेशी टूरिस्टों में खासा लोकप्रिय हो रहा है।

ठहरने की व्यवस्था: खीरगंगा में होटल की व्वयस्था तो नहीं है, लेकिन टॉप पर कुछ टेंट जरूर है। खीरगंगा पहुंचने वाले टूरिस्ट कसौल और मणिकर्ण में नाइट स्टे कर सकते है। यहां पहुंचने के लिए टूरिस्ट को पहले चंडीगढ़-भुंतर-कसौल-बरशैनी-खीरगंगा ट्रेक पर लगभग 290 किमी का सफर करना पड़ता है।

क्यों अलग: कुल्लू जिला में पुराने फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन मनाली, मणिकर्ण, कसौल है। यहां पर बीते सालों के दौरान काफी भीड़ बढ़ी है। इसलिए, खीरगंगा शांतिपूर्ण माहौल, योग और अध्यात्म का अनोखा संगम बनता जा रहा है। एडवेंचर ट्रेकिंग के लिए भी एडवेंचर प्रेमी यहां जाना पसंद करते हैं।

कुल्लू में नए उभरते हुए खीरगंगा में टूरिस्ट के ठहरने को लगाए गए टेंट।

कुल्लू में नए उभरते हुए खीरगंगा में टूरिस्ट के ठहरने को लगाए गए टेंट।



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Ustad Pooran Shahkoti Last Video: Taught Music Till 2 Days Before Death | Master Saleem Father | पंजाबी संगीत के उस्ताद आखिरी सांस तक गुनगुनाते रहे: बॉलीवुड सिंगर के पिता ने निधन से 2 दिन पहले गाया- न जी भरके जीना, ये क्या जिंदगी है – Jalandhar News


उस्ताद पूरण शाहकोटी गाना गाते हुए।

बॉलीवुड सिंगर मास्टर सलीम के पिता उस्ताद पूरण शाहकोटी निधन से 2 दिन पहले तक भी संगीत सिखा रहे थे। जालंधर के रहने वाले शाहकोटी के दूसरे बेटे पेजी शाहकोटी ने इसका वीडियो शेयर किया है। उस्ताद शाहकोटी अपने बेटे पेजी को ही संगीत की तालीम दे रहे थे।

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इस वीडियो में उनके बोल- न जी भरके जीना, ये क्या जिंदगी है, न मरना, न जीना, न तौबा ही करना, ये क्या जिंदगी है। हंसराज हंस, जसबीर जस्सी जैसे मशहूर पंजाबी सिंगरों को म्यूजिक सिखाने वाले उस्ताद शाहकोटी का 70 साल की उम्र में 22 दिसंबर को निधन हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक उनकी पार्थिव देह को श्मशान न ले जाकर घर के पास ही सुपुर्द-ए-खाक किया गया था।

उनके सिंगर बेटों मास्टर सलीम और पेजी शाहकोटी ने बताया कि उस्ताद शाहकोटी की अंतिम अरदास 30 दिसंबर को जालंधर के माडल टाउन स्थित श्री गुरुद्वारा सिंह सभा में होगी।

उस्ताद पूरण शाहकोटी का वीडियो उनके दूसरे बेटे ने शेयर किया।

उस्ताद पूरण शाहकोटी का वीडियो उनके दूसरे बेटे ने शेयर किया।

उस्ताद शाहकोटी की यह आखिरी संगीत की आवाज शाहकोटी के बेटे पेजी ने बताया कि यह उनके पिता के मुंह से निकली आखिरी संगीत की आवाज थी। इसके बाद उन्होंने कुछ नहीं गाया और हमेशा के लिए विदा हो गए। पेजी ने बताया कि इस वीडियो में वह मुझे ही गीत का रियाज करा रहे थे। वीडियो में देखा जा सकता है कि शाहकोटी बेहद वृद्ध अवस्था में पहुंच गए थे। उनकी आवाज भी स्पष्ट नहीं थी लेकिन संगीत को लेकर उनका प्रेम अंतिम पल तक रहा। वह सुरों की ऊंच-नीच और गायकी की हरकतें लगाकर बेटे को संगीत की बारीकियां सिखा रहे थे।

अंतिम विदाई में फूट-फूटकर रोए थे मास्टर सलीम उस्ताद पूरण शाहकोटी को 23 दिसंबर को जालंधर में सुपुर्द ए खाक किया गया था। इस दौरान उनके बॉलीवुड सिंगर मास्टर सलीम बेटे फूट-फूटकर रोते हुए नजर आए थे। पिता को जब सुपुर्द ए खाक किया जाने लगा तो उन्होंने अंतिम रस्मों की वीडियोग्राफी से भी इनकार कर दिया था। मास्टर सलीम ने कहा था कि उनके निधन से सुरों की एक सदी खामोश हो गई।

पिता की अंतिम विदाई के वक्त मास्टर सलीम फूट-फूटकर रोते रहे, इनसेट में उनके पिता उस्ताद पूरण शाहकोटी की फाइल फोटो।

पिता की अंतिम विदाई के वक्त मास्टर सलीम फूट-फूटकर रोते रहे, इनसेट में उनके पिता उस्ताद पूरण शाहकोटी की फाइल फोटो।

पंजाबी कलाकारों पर भारी पड़ा साल 2025 साल 2025 में कई बड़े दिग्गज पंजाबी कलाकारों का निधन हुआ। इनमें सिंगर राजवीर जवंदा की पंचकूला में रोड एक्सीडेंट में बाइक पर जाते वक्त एक्सीडेंट में मौत हो गई। कॉमेडियन जसविंदर भल्ला की भी ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई थी।

उसके बाद मशहूर संगीतकार चरणजीत आहूजा का कैंसर की बीमारी की वजह से निधन हो गया। सिंगर हरमन सिद्धू का मानसा में कार का एक्सीडेंट हो गया। वहीं सिंगर गुरमीत मान हार्ट की प्रॉब्लम की वजह से दुनिया छोड़ गए। इस लिस्ट में अब उस्ताद पूरण शाहकोटी का भी नाम जुड़ गया है।

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