जिले में नगर निगम अब यूडी टैक्स नहीं चुकाने पर आम आदमी के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों पर भी कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। इसके लिए बकाया नहीं देने वाले सात सरकारी कार्यालयों, भवनों और ऑडिटोरियम के नाम यूडी टैक्स बकाया का नोटिस जारी किए हैं। जानकर हैरान
.
नगर निगम आयुक्त श्रवण विश्नोई का कहना है कि आम नागरिकों पर बाकायदे वसूली की कार्रवाई की जाती है। दुकानें और भवन सील तक कर दिए जाते हैं, तो सरकारी विभागों को भी इससे बाहर नहीं रखा जाएगा। निगम आयुक्त ने सभी संबंधित संस्थानों को अंतिम चेतावनी भेज दी है। निर्धारित समय में बकाया जमा न होने पर वारंट जारी कर वसूली की जाएगी। जरूरत पड़ने पर परिसंपत्तियों को सील करने की कार्यवाही भी की जाएगी।
संभाग का सबसे बड़ा आरबीएम सबसे बड़ा बकायेदार
भरतपुर का आरबीएम अस्पताल जो पूरे संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यूडी टैक्स बकाये में सबसे ऊपर है। वर्ष 2007 से लगातार पेंडिंग पड़े अरबन डेवलपमेंट टैक्स की राशि अब बढ़कर 1.05 करोड़ रुपए हो चुकी है। निगम का कहना है कि बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। अब निगम इस पर वारंट जारी करने की तैयारी में है।
मेडिकल कॉलेज पर 66.72 लाख बकाया… नगर निगम के राजस्व अधिकारी तेजराम मीना के अनुसार जयपुर–आगरा हाईवे पर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज 2016-17 से लगातार बकायेदार है। कई बार नोटिस दिए जा चुके हैं, लेकिन 66.72 लाख रुपए का बकाया आज तक जमा नहीं हुआ। निगम अधिकारियों का कहना है कि इतना बड़ा शैक्षणिक संस्थान, जहां रोज हजारों लोग आते हैं, उसका वर्षों से टैक्स न भरना गंभीर लापरवाही है।
राजेंद्र नगर की तीन संपत्तियां भी बकायेदारों में शामिल
पहली संपत्ति पर 4.04 लाख रुपए का बकाया, दूसरी संपत्ति, जो पुलिस लाइन के पास है, पर 3.31 लाख रुपए और तीसरी संपत्ति पर 3.08 लाख रुपए का यूडी टैक्स बकाया चल रहा है। ये सभी टैक्स 2007-08 से अब तक नहीं भरे गए, जबकि निगम हर वर्ष नोटिस भेजता रहा।
बीडीए और ऑडिटोरियम भी बकाया
भरतपुर विकास प्राधिकरण (बीडीए) पर भी निगम ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। बीडीए कार्यालय पर 6.91 लाख रुपए बकाया है। 2007-08 से अब तक एक बार भी यूडी टैक्स जमा नहीं किया गया। अभी पीडब्ल्यूडी के सामने बना बीडीए ऑडिटोरियम पर 7.21 लाख रुपए बकाया है, जो वर्ष 2007-08 से 2025-26 तक लगातार बढ़ रहा है।
उदासीनता ने बढ़ाई निगम की समस्याएं
निगम अधिकारियों का कहना है कि शहर के विकास कार्यों के लिए जो राजस्व मिलना चाहिए, वह बड़े सरकारी संस्थानों द्वारा टैक्स न चुकाने के कारण प्रभावित हो रहा है। सड़क निर्माण से लेकर सफाई व्यवस्थाओं तक, हर काम पर निगम का सीधा खर्च होता है, लेकिन बदले में यूडी टैक्स की वसूली ही नहीं हो पाती। अधिकारियों का कहना है कि आम नागरिक अगर एक साल टैक्स न भरे तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होती है। ऐसे में 10 से 17 साल तक बकाया रखने वाले सरकारी विभागों को भी जवाबदेह बनाना जरूरी है।
