बांसवाड़ा | प्रदेश में लगातार घाटे से जूझ रहे रोडवेज को उबारने के लिए निगम ने नए प्रयास शुरू किए हैं। अब निगम ने सभी परिचालकों को बसों के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी।
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आदेश आने के बाद से लंबे समय से दफ्तरों में बाबू बन बैठे परिचालकों को बसों में सेवाएं देनी होगी। ऐसे परिचालकों को अब हर माह कम से कम 3 हजार किमी बस चलवानी पड़ेगी। एक माह में 3 हजार किमी तक की बस सेवा न देने पर परिचालकों के वेतन में कटौती भी की जाएगी। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के अधिकांश आगारों में कई परिचालक लंबे समय से दफ्तरों में बैठ सेवाएं देते आ रहे थे। इसका दुष्प्रभाव निगम की आमदनी पर भी पड़ रहा था। अब इससे उबरने के लिए निगम ने यह नियम जारी किया है। परिचालकों का वेतन अब हर माह तय रूट पर चलने पर ही बनाया जाएगा। इससे उनकी मनमर्जी पर अंकुश भी लगेगा और परिचालक तय रुट पर अपना सफर पूरा कर सकेंगे। इससे रोडवेज की आय में इजाफे की बात कही जा रही है।
^परिचालकों का वेतन हर माह तीन हजार किलोमीटर रूट पर चलने पर ही बनाया जाएगा। इससे मनमानी पर अंकुश लगेगा और रोडवेज की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। इससे संचालन किलोमीटर में वृद्धि होगी।
– मनीष जोशी, मुख्य प्रबंधक, बांसवाड़ा
आगार बांसवाड़ा डिपो की स्थिति चालक : 61 परिचालक : 47 प्रति दिन आय : करीब 8 लाख किलोमीटर : 19300 सिविंल डिफेंस : 3 बस सारथी : 19 कई निगम कार्मिक और अधिकारी बताते हैं कि लागू किया गया नियम अच्छा है। इससे सभी परिचालकों को समानता का मौका मिलेगा। विशेषकर पदोन्नति में समस्या नहीं आएगी । क्योंकि जो परिचालक दफ्तरों में बैठते आ रहे हैं उनके रिमार्क नहीं लगते। रिमार्क न होने के कारण उनकी पदोन्नति बसों में चलने वाले परिचालकों की तुलना में जल्दी होती आई है। इससे कई परिचालकों में हमेशा से ही मन में रोष रहा है। दूसरी ओर, कम स्टाफ की समस्या से भी निगम को कुछ राहत मिलेगी।
