11 दिसंबर 2019, चाकसू के एक गांव की सुबह हमेशा की तरह शांत थी, लेकिन उस दिन गांव की हवा में एक अलग सिहरन घुली हुई थी। तालाब के पास झाड़ियों में जमा भीड़ किसी अनहोनी का संकेत दे रही थी।
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कुछ ही पलों में यह खबर पूरे गांव में फैल गई कि 13 साल की मासूम का शव मिल गया है। पिछले 18 घंटे से लापता मासूम को लोग हर दिशा में खोज रहे थे।
किसी ने नहीं सोचा था कि उसका अंतिम ठिकाना तालाब के पास यह सुनसान झाड़ी होगी। उसके छोटे से चेहरे पर जमी डर की रेखाएं, कपड़ों पर जमी मिट्टी और सिर पर गहरे घाव बता रहे थे कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि कुछ और है, बहुत खौफनाक।
18 घंटे से लापता 13 साल की मासूम का शव तालाब के पास झाड़ियों में मिला। -एआई इमेज
बुधवार दोपहर करीब दो बजे मासूम अपने घर से निकली थी। उसने अपनी मां से कहा था कि वह पड़ोस में रहने वाली लड़की के घर जा रही है।
वही लड़की जिसके साथ वह रोज खेलती थी। स्कूल जाती थी। हंसती-बतियाती थी। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे। एक ही क्लास की थीं।
पिछले दो दिनों में दोनों के बीच स्कूल में एक पेन चोरी को लेकर विवाद हुआ था। बात छोटी थी, लेकिन बच्चों की दुनिया में छोटी बातें भी कभी-कभी तूफान बन जाती हैं।
मां ने भी मासूम को ज्यादा कुछ नहीं कहा। क्योंकि दोनों बच्चियों के झगड़े होते भी थे और सुलझ भी जाते थे। इस बार बात इतनी आगे बढ़ जाएगी, यह किसी ने सोचा भी नहीं था।
शाम तक मासूम घर नहीं लौटी। रात होते-होते घरवालों का डर बढ़ने लगा। गांव के लोग टॉर्च लेकर उसे ढूंढने निकल पड़े। नाले, खेत, पुराने कमरे… हर जगह तलाश शुरू हो गई, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला।
रात का हर मिनट घरवालों के लिए पहाड़ बन चुका था। फिर अगली सुबह जब उसका शव झाड़ियों में मिला, गांव जैसे सुन्न हो गया। पुलिस भी तुरंत मौके पर पहुंच गई।
वहां की स्थिति किसी साधारण हादसे जैसी नहीं थी। उसके सिर पर कई गहरे वार के निशान थे। कपड़े अस्त-व्यस्त थे। ऐसा लग रहा था कि शव को कहीं और से खींचकर यहां लाया गया है।

शव मिलने के बाद पुलिस ने हत्यारे का सुराग जुटाने के लिए पूरे गांव में पड़ताल की। -एआई इमेज
पुलिस ने सबसे पहले वही लोग चिन्हित किए जिनके साथ मासूम का आखिरी संपर्क हो सकता था। उसी में नाम आया पड़ोस की उसी बच्ची का।
पूछताछ में उस बच्ची के माता-पिता ने साफ कहा कि मासूम उनके घर नहीं आई थी। दोनों ने यह भी कहा कि दोनों बच्चियों में दो दिन पहले झगड़ा हुआ था, इसलिए वह अब उनके घर नहीं आती थी।
उनकी आवाज में आत्मविश्वास था, लेकिन पुलिस को कुछ असामान्य जरूर लगा। गांव वालों ने भी बताया कि मासूम अक्सर उसी घर में जाती थी, इसलिए पुलिस ने उस दिशा में भी नजर रखनी शुरू की।
जब तालाब के पास मिले शव की हालत देखी गई, तो पुलिस ने यह मानने से इनकार कर दिया कि यह कोई दुर्घटना है। पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट ने यह शक और गहरा कर दिया कि मासूम पर हमला हुआ है।
उसके सिर पर कई चोटें थीं। यह चोटें किसी नुकीली चीज से की गई थीं। गांव में चर्चा फैलने लगी- “किसने किया?, क्या कोई बाहर से आया होगा?, क्या मासूम का किसी से झगड़ा हुआ था? किसी के पास इन सवालों का जवाब नहीं था।

बच्ची की पड़ोस के घर में एक हर उम्र सहेली थी। ऐसे में पुलिस ने उसकी मां से भी पूछताछ की।-एआई इमेज
इसी दौरान जांच में एक महत्वपूर्ण बात सामने आई। शव मिलने से कुछ घंटे पहले, यानी रात के लगभग तीन बजे दो परछाइयां तालाब के पास देखी गई थीं।
ग्रामीणों को लगा कि शायद कोई पशु पानी पिलाने आया होगा, लेकिन अब वह गवाही टीम को एक नई दिशा दे रही थी। अगर रात तीन बजे किसी ने वहां कुछ किया था तो यह शव को फेंकने की कार्रवाई भी हो सकती है।
शक की सुई घूमते-घूमते फिर पड़ोस वाले घर तक पहुंची। पुलिस ने उस घर की तलाशी ली। घर में सब सामान्य था। जब पुलिस चारा भरने वाले उस बेसमेंट नुमा छोटे कमरे में गई, वहां की दीवार पर हल्के खून के धब्बे मिले।
किसी ने उन्हें साफ करने की कोशिश की थी, लेकिन पूरी तरह से नहीं कर पाया। पुलिस अधिकारियों की नजरें तुरंत तेज हो गईं। इस कमरे में जरूर कुछ हुआ था। लेकिन क्या?
इसी दौरान एक और चीज़ मिली—कोने में पड़ी एक छोटी-सी बाली। टॉर्च की रोशनी पड़ते ही वह चमक उठी। जब पुलिस ने बाली मासूम के माता-पिता को दिखाई, उन्होंने उसे तुरंत पहचान लिया। यह मासूम की थी, वही बाली जो वह रोज पहना करती थी।
अब मामला स्पष्ट दिशा में जा रहा था। लेकिन अभी भी कहानी अधूरी थी। मासूम वहां कैसे पहुंची? उस पर हमला किसने किया? उसे कमरे से तालाब तक कौन ले गया? और क्यों?

गांववालों ने बताया कि रात 3 बजे तालाब के पास दो परछाइयां नजर आई थीं। -एआई इमेज
पुलिस की टीम ने रात भर की हलचल और शव मिलने के स्थान के बीच की दूरी को मिलाकर एक टाइमलाइन बनाई। दोपहर 2 बजे मासूम पड़ोस में गई थी।
उसके बाद किसी ने उसे जिंदा नहीं देखा। रात 3 बजे दो परछाइयां तालाब के पास थीं। सुबह 6 बजे शव मिला और बाली उसी घर में। सब कुछ एक-दूसरे से जुड़ रहा था, लेकिन आखिरी सुराग अभी भी गायब था—कातिल कौन?
गांव में अफवाह फैलने लगीं। कोई कहता- किसी बड़े ने किया होगा। कोई कहता- किसी ने बदला लिया होगा। कोई यह तक कहने लगा कि मासूम ने शायद किसी गलत चीज को देखते हुए किसी को नाराजकर दिया होगा। पर सच इनमें से कुछ भी नहीं था।
सच उस कमरे के भीतर कैद था, जहां दीवार पर खून के धब्बे लगे थे। जिस घर में सब कुछ सामान्य दिख रहा था, वहीं कुछ असामान्य छुपा हुआ था। अब पुलिस के सामने सच आने वाला था।
कल राजस्थान क्राइम फाइल्स पार्ट–2 में पढ़िए आगे की कहानी…

