माही नदी बांसवाड़ा की जीवन रेखा है। इसके पानी से बिजली बन रही है और हमारे घर रोशन हो रहे हैं। इसके पानी से ही सवा लाख हैक्टेयर में सिंचाई हो रही है। इसकी वजह से यहां उद्योग लग रहे हैं। माही को मां के बराबर दर्जा है। इस खास दिन पर पाठक माही की लहरों प
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माही नदी हमें यही सिखाती है। वह भी अविरल, निरंतर बहती रहती है। माही की लहरों पर शब्द लिखकर यही बताने का प्रयास किया है कि यह माही हमारे लिए बेहद खास है। विशेष सहयोग: कलेक्टर डॉ. इंद्रजीत यादव, स्काउट गाइड सीओ दीपेश शर्मा, छोटी सरवन तहसीलदार युसूफ खान, भास्कर रिपोर्टर प्रियंक भट्ट, ड्रोन पायलट: यश सराफ। बांसवाड़ा| माही बांध के बैक वाटर में 15 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चल रही थी।
भास्कर टीम 19 नाव और 38 नाविकों के साथ माही नदी में उतरी। तेज हवा में लहरों पर खड़ी नावें हिचकौले खा रही थी लेकिन माही से ही अविरल आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा लेते हुए हमारी टीम, नाविकों ने प्रयास जारी रखा और टास्क में सफल हुए। माही की लहरें इतनी तेज चलती हैं कि एक नाव को एक-दूसरे के पास ज्यादा समय तक नहीं लगाया जा सकता। ऐसे में हमनें बांसवाड़ा भास्कर लिखने के लिए एक-एक शब्द बनाए। उदाहरण के तौर पर पहले नावों को गोलाकर आकृति में लाकर बिंदी बनाई, फिर ब शब्द लिखा…. इसी तरह सभी शब्द बनाए।
इन 8 शब्दों को बनाने में 6 घंटे लगे। इस दौरान सबसे बड़ी चुनौती नावों को सही आकृति में लाना और एक-दूसरे से सटाकर खड़े रखना था। नावों से सभी शब्द अलग-अलग बनाते वक्त ड्रोन पायलट यश सराफ भी नाविकों के साथ इन नावों में सवार थे। यश ने अपने गहरे अनुभव से 700 मीटर की ऊंचाई पर ड्रोन फ्लाइंग कर आकृतियों की तस्वीरें क्लिक की। नाव में बैठकर आकृति कैसी बन रही हैं, इसका पता नहीं चलता, इसलिए यश ड्रोन में देखकर नाविकों को बताते, फिर दूसरी नाव में सवार स्काउट गाइड सीओ नाविकों को गाइड करके आकृति सही बनवाते। इसके बाद सभी फोटो और वीडियो को यश ने आपस में जोड़कर यह मास्टहैड तैयार किया।
