Loss in paddy, now farmers have hope from garlic | धान में नुकसान, अब लहसुन से किसानों को उम्मीद: इस बार धनिये की कम बुवाई, लहसुन और गेहूं पर किसानों की उम्मीदें – Kota News
हाड़ौती में अतिवृष्टि और बेमौसम बारिश से सोयाबीन और धान की फसलों को नुकसान हुआ है। जिसके चलते किसानों की मेहनत पर भी पानी फिर गया। अब जब धनिये का सीजन भी है लेकिन किसान अब धनिये से ज्यादा गेहूं और लहसुन पर उम्मीदें टिकाए बैठे हैं। धनिया के लिए प्रसिद्
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अतिवृष्टि से पहले ही किसानों की धान की फसल खराब हो चुकी है। ऐसे में अब किसान नकदी फसल पर ध्यान दे रहे है।
कृषि विभाग के अनुसार धनिया फसल का रकबा इस बार 58,480 बीघा से घटकर 48,500 बीघा के आसपास रहने की संभावना है। भारतीय किसान संघ के संभागीय अध्यक्ष गिर्राज चौधरी ने बताया कि हाड़ौती में रामगंजमंडी, बारां और झालावाड़ में धनिए की ज्यादा फसल की जाती है। लेकिन इस बार किसानों को इससे भी ज्यादा उम्मीद नही है। वर्ष 2023 में हाड़ौती में धनिया का कुल रकबा 58,480 बीघा था, लेकिन रोग, मौसम और लागत की वजह से इस साल यह घटकर 48,500 बीघा रहने की संभावना है। साल 2023-24 के सीजन में लॉगिया (स्टेम रॉट) और बाकड़िया (लीफ ब्लाइट) रोग ने कोटा, बारां और झालावाड़ जिलों में धनिया की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था। वहीं इस बार बारिश से पहले ही किसानों को फसलों में नुकसान हुआ है। ऐसे में किसान सुरक्षित विकल्प की तरफ ही जा रहे है।
लहसुन का रकबा बढ़ेगा किसान धनिया फसल की बजाय सुरक्षित विकल्प जिनमें गेहूं और लहसुन है उसकी तरफ जा रहे है। अब तक 71 हजार हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई हो चुकी है। किसान ज्यादातर लहसुन की बुवाई पर जोर दे रहे है। जिससे इसका रकबा बढेगा। अभी बीस हजार हैक्टेयर में और बुवाई होने की उम्मीद है। ऐसे में इस बार भी हाड़ौती में बंपर लहुसन की आवक हो सकती है। हालांकि ज्यादा आवक से लहसुन के दामों में कमी भी आ सकती है। किसान संघ के गिर्राज चौधरी ने बताया कि पिछले दो साल से लहसुन के दामों में कोई ज्यादा कमी या अंतर नही है। इसलिए किसानों को इससे आस है। लेकिन अगर ज्यादा क्षेत्र में बुवाई होती है और आवक अच्छी रहती है तो दामों में कमी देखने को मिल सकती है। हालांकि गेहूं और चना भी किसानों के लिए उम्मीद है।