जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में राज्य से बाहर के व्यक्ति को कुलगुरु बनाने को लेकर विवाद गहराने लगा है। कुछ समय पहले राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) में महाराष्ट्र के डॉ. प्रमोद येवले को कुलगुरु नियुक्त क
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अब ऐसी ही स्थिति संस्कृत विवि में सामने आ रही है। कुलगुरु पद के लिए गठित सर्च कमेटी ने जो चार नाम सौंपे हैं। उनमें तीन बिहार से और एक यूपी से है। बिहार से प्रो. मदनमोहन झा, प्रो. श्रीधर मिश्र और प्रो. राधाकांत ठाकुर और यूपी के मेरठ के प्रो. सोमदेव शतांशु का नाम शामिल है। राजस्थान से एक भी विद्वान का नाम शामिल नहीं है।
विधायकों का सीएम को पत्र प्रदेश के संस्कृत विद्वानों का कहना है कि राजस्थान में कई विद्वान हैं, लेकिन अनदेखी कर बाहरी को प्राथमिकता दी जा रही है। आरयूएचएस की तरह संस्कृत विवि में यह गलती क्यों दोहराई जा रही है। छबड़ा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, डीडवाना विधायक युनूस खान और बाली विधायक पुष्पेन्द्र सिंह राणावत ने राज्य के विद्वानों को ही कुलगुरु लगाने की मांग का पत्र राज्यपाल और मुख्यमंत्री को लिखा है।
आवेदन प्रक्रिया पर भी सवाल
विवि में कुलगुरु पद के निर्धारित तिथि तक 28 आवेदन आए थे। सर्च कमेटी चेयरमैन प्रो. अखिल रंजन गर्ग (बीकानेर तकनीकी विवि कुलपति) ने बाद में 11 दिन अवधि बढ़ा दी। समय बढ़ाने के बाद 5 और आवेदन आए।
“राजस्थान निवासी संस्कृत विद्वान ही संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलगुरु पद पर नियुक्त होना चाहिए।”
-बालमुकुन्दाचार्य, हवामहल विधायक एवं सिंडिकेट सदस्य संस्कृत विवि, जयपुर