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- India’s Fiscal Deficit Doubles To ₹4.68 Lakh Crore In First Four Months Of FY26
नई दिल्ली2 मिनट पहले
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केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट इस वित्त वर्ष (2025-26) के पहले चार महीनों में सालाना आधार पर 70% बढ़ गया है। कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (CGA) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जुलाई में घाटा ₹4.68 लाख करोड़ रहा, जो पूरे साल के अनुमान का 29.9% है। पिछले साल इसी अवधि में यह ₹2.77 लाख करोड़ था।
राजकोषीय घाटे में इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह सरकार का पूंजीगत खर्च (कैपिटल एक्सपेंडिचर) है, जो अप्रैल-जुलाई में 31% बढ़कर ₹3.47 लाख करोड़ हो गया। पिछले साल यही खर्च ₹2.61 लाख करोड़ था। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर और सार्वजनिक निवेश के जरिए विकास की गति बनाए रखती है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 4.4% रखा है। यह FY25 के 4.8% से कम है।
4 महीने में टैक्स रेवेन्यू ₹6.62 लाख करोड़ रहा
अप्रैल-जुलाई के बीच नेट टैक्स रेवेन्यू ₹6.62 लाख करोड़ रहा, जो वार्षिक लक्ष्य का 23% है। पिछले साल यह ₹7.15 लाख करोड़ था। गैर-कर राजस्व ₹4.03 लाख करोड़ (69.2% लक्ष्य) और कुल राजस्व प्राप्तियां ₹10.95 लाख करोड़ (31.3% लक्ष्य) रहीं।राजस्व प्राप्ति और कुल खर्च की स्थिति कुल खर्च:
- खर्च: इस अवधि में सरकार का कुल खर्च ₹13 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.64 लाख करोड़ हो गया है, जो पूरे साल के लक्ष्य का 31% है।
- कमाई: इस दौरान टैक्स से होने वाली शुद्ध कमाई पिछले साल के ₹7.15 लाख करोड़ के मुकाबले थोड़ी गिरकर ₹6.62 लाख करोड़ रही। इसका एक कारण जुलाई में टैक्स फाइलिंग की समय सीमा बढ़ना भी रहा।
- नॉन टैक्स रेवेन्यू: ₹4.03 लाख करोड़ (69.2% लक्ष्य) और कुल राजस्व प्राप्तियां ₹10.95 लाख करोड़ (31.3% लक्ष्य) रहीं।
- सब्सिडी में कमी: अच्छी बात यह है कि मुख्य सब्सिडियों पर कुल खर्च पिछले साल के ₹1.26 लाख करोड़ से घटकर ₹1.14 लाख करोड़ हो गया है।
RBI ने 24.7% ज्यादा सरप्लस दिया
RBI का सरप्लस: RBI ने सरकार को पिछले साल से 24.7% ज़्यादा यानी ₹2.69 लाख करोड़ का सरप्लस (अतिरिक्त पैसा) दिया है। यह पैसा सरकार के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है, जिससे वह टैक्स राजस्व में संभावित कमी या ज्यादा खर्च के बावजूद अपने घाटे के लक्ष्य पर टिकी रहती है।
राजकोषीय घाटा क्या है?
राजकोषीय घाटा बताता है कि एक वित्त वर्ष में सरकार की कुल कमाई (टैक्स और अन्य स्रोतों से) उसके कुल खर्च से कितनी ज्यादा है। यह वह अतिरिक्त पैसा है जिसकी जरूरत सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए पड़ती है, और यह अंतर ही सरकार को उधार लेकर पूरा करना पड़ता है। यह अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि सरकार बाजार से कितना पैसा उठा रही है, जिसका असर ब्याज दरों और देश के कर्ज पर पड़ता है।