वोटर लिस्ट के विशेष गहन परीक्षण (एसआईआर) में प्रदेश में करीब 29 प्रतिशत मतदाताओं को दस्तावेज दिखाने ही होंगे। प्रदेश के 70.55 प्रतिशत वोटर्स को कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। इसकी पुष्टि मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने करते हुए कहा कि बिहार में पह
.
सारे देश के वोटर लिस्ट का डेटा मशीन रीडिंग फॉर्मेट में उपलब्ध है। पहले दूसरे राज्यों की वोटर लिस्ट उपलब्ध नहीं होने से वेरिफिकेशन और जांच में वक्त लगता था। अब डबल नाम वालों को बाहर किया जाएगा। वोटर लिस्ट में जानबूझकर दो जगह नाम रखने पर एक साल की सजा का प्रावधान है। राजस्थान में एसआईआर के बाद हर बूथ पर 890 वोटर रह जाएंगे। उधर, एसआईआर के बाद एक बूथ पर औसत 890 वोटर रह जाएंगे। 8,819 नए पोलिंग बूथ हो जाएंगे। प्रदेश में इसके बाद 61,309 पोलिंग बूथ हो जाएंगे।
महाजन ने कहा कि जब बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म भरवाएंगे, तब तक यह आंकड़ा 80 प्रतिशत पार तक जा सकता है। 27 अक्टूबर तक राजस्थान में 5 करोड़ 48 लाख 84 हजार 570 वोटर्स हैं। 2002 से 2005 की वोटर लिस्ट के बाद 70.55 प्रतिशत वोटर्स की मैपिंग हो चुकी है। मतलब, इनके नाम पिछली एसआईआर से मैच हो चुके हैं। 70.55 प्रतिशत वोटर्स के नाम मैच हो चुके हैं, बाकी के मैच होने बाकी हैं। बीएलओ ऐप के माध्यम से 40 साल से ज्यादा उम्र के 79.32 प्रतिशत वोटर्स फीड हो चुके हैं। 40 साल से कम उम्र के 22.22 प्रतिशत वोटर्स की मैपिंग हुई है।
पड़ोसी राज्यों सहित किसी भी प्रदेश से वोटर का मिलान हो सकेगा
महाजन ने बताया कि कई प्रदेशों की सीमाएं राजस्थान से लगती हैं। पहले दूसरे राज्यों के वोटर्स की मैपिंग यानी उन्हें खोजना मुश्किल था, क्योंकि वोटर लिस्ट नहीं थी। अब वोटर लिस्ट उपलब्ध होने से देश के किसी भी राज्य के वोटर को मैच कर सकेंगे। पुरानी एसआईआर की वोटर लिस्ट ऑनलाइन उपलब्ध है। डेटाबेस से मिलान आसान हो जाएगा।
राजस्थान वोटर मैपिंग में सबसे आगे, गुजरात, यूपी, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ पिछड़े
राजस्थान वोटर मैपिंग में 12 राज्यों की तुलना में सबसे आगे है। राज्यों में मैपिंग में राजस्थान सबसे आगे है। राजस्थान में इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया (ईसीआई) नेट पर कुल मैपिंग 49.37 प्रतिशत हो चुकी है। गुजरात में 5.73 प्रतिशत, यूपी में 13.41 प्रतिशत, एमपी में 20.09 प्रतिशत, तमिलनाडु में 21.62 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 24.27 प्रतिशत वोटर्स की ही मैपिंग हुई है।
एक घर पर तीन बार जाएंगे बीएलओ, इसके बाद नहीं मिलने पर नोटिस चस्पा होगा
बीएलओ घर-घर जाकर गणना फॉर्म (ईएफ) भरेगा। हर वोटर को यह फॉर्म दिया जाएगा। कोई परिवार मान लीजिए बाहर गया हुआ है तो सामान्यतः वह एक महीने में वापस लौट आता है। बीएलओ हर घर पर जाकर तीन बार फॉर्म भरवाने का प्रयास करेगा। फिर भी कोई घर पर नहीं मिलते हैं तो बीएलओ फॉर्म घर पर डालकर नोटिस चस्पा करेगा। एक महीने में तीन बार बीएलओ जाएंगे।