स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित होने या रक्त वाहिका फटने से होती है। इससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे व्यक्ति की बोलने, चलने-फिरने या सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। भारत में यह दीर्घकालिक व
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आज की तेज़ रफ़्तार जीवनशैली, लंबे कार्य घंटे, तनाव, शारीरिक निष्क्रियता और असंतुलित आहार के कारण 45 वर्ष से कम उम्र के लोग भी स्ट्रोक के बढ़ते खतरे में हैं। नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ जीवनशैली और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इस वर्ष विश्व स्ट्रोक दिवस का विषय “हर मिनट मायने रखता है” स्ट्रोक के दौरान समय के महत्व को रेखांकित करता है। जितनी जल्दी इलाज शुरू होता है, ठीक होने की संभावना उतनी अधिक होती है। हर खोया हुआ मिनट अतिरिक्त मस्तिष्क क्षति का कारण बन सकता है, जबकि बचाया गया हर मिनट व्यक्ति की बोली, गतिशीलता और स्वतंत्रता बनाए रखने में मदद कर सकता है।
स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानने का एक सरल तरीका F.A.S.T. है। यह संक्षिप्त रूप स्ट्रोक के प्रमुख संकेतों को याद रखने में मदद करता है, ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके।
- F – Face (चेहरा): क्या एक तरफ़ चेहरा झुका हुआ है?
- A – Arm (बाँह): क्या एक बाँह कमज़ोर या सुन्न है?
- S – Speech (बोली): क्या बोली अस्पष्ट या असामान्य है?
- T – Time (समय): देर न करें – तुरंत अस्पताल जाएं।

डॉ. नीतू रामरखियानी ने बताया- रक्तचाप, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करें और शुरुआती संकेतों को कभी नज़रअंदाज़ न करें। समय पर उपचार से मस्तिष्क और जीवन – दोनों बच सकते हैं, क्योंकि ‘टाइम इज ब्रेन’।
यदि इनमें से कोई भी लक्षण कुछ सेकंड के लिए भी दिखाई दे, तो इसे गंभीरता से लेना और तुरंत आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। शुरुआती उपचार पूरी तरह से ठीक होने और स्थायी विकलांगता के बीच का अंतर पैदा कर सकता है।
फोर्टिस अस्पताल, जयपुर की न्यूरोलॉजी विभाग की डायरेक्टर डॉ. नीतू रामरखियानी ने बताया,
स्ट्रोक अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। आज हमारे पास 3 में से 1 मरीज 45 से कम उम्र के होते हैं, जो तनाव, अनुचित आहार और व्यायाम की कमी से प्रभावित हैं।

उन्होंने कहा- ज़्यादातर मामलों में यह स्थिति रोकी जा सकती है। अपने रक्तचाप, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करें और शुरुआती संकेतों को कभी नज़रअंदाज़ न करें। समय पर उपचार से मस्तिष्क और जीवन – दोनों बच सकते हैं, क्योंकि ‘टाइम इज ब्रेन’।

डॉ. विकास गुप्ता ने कहा- इस विश्व स्ट्रोक दिवस पर, आइए हम सब मिलकर स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानें, तुरंत कार्रवाई करें और अपने आस-पास के लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें।
डॉ. विकास गुप्ता, एडिशनल डायरेक्टर – न्यूरोलॉजी विभाग, फोर्टिस अस्पताल, जयपुर ने कहा,
कमज़ोरी, चक्कर आना या बोलने में थोड़ी परेशानी को हल्के में न लें। यह आपके शरीर का चेतावनी संकेत हो सकता है। नियमित व्यायाम करें, पौष्टिक आहार लें, धूम्रपान छोड़ें और तनाव को नियंत्रित रखें। रोकथाम मुश्किल नहीं है – बस नियमितता जरूरी है।

उन्होंने कहा- इस विश्व स्ट्रोक दिवस पर, आइए हम सब मिलकर स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानें, तुरंत कार्रवाई करें और अपने आस-पास के लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें, क्योंकि स्ट्रोक से जूझते समय, हर मिनट वाकई मायने रखता है।