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वस्त्रनगरी में सोमवार शाम वाटर वर्क्स, मानसरोवर झील, नेहरू तलाई, हरणी महादेव तालाब, पटेलनगर स्थित घरोंदा व बापूनगर में महादेवी पार्क स्थित टैंक आदि सरोवर तटों पर पूर्वांचल समाज के सूर्य आराधना के महापर्व सूर्य षष्ठी पर देर शाम तक रौनक रही। निर्जल व्रती महिलाएं पुरुषों के साथ भोजपुरी गीत गाते घाटों पर पहुंची। दीयों की झिलमिल के बीच षष्ठी मैया की पूजा कर अस्त होते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। रिमझिम बारिश के बीच प्लास्टिक मुक्त रोशनी से जगमगाते घाटों पर बच्चों से लेकर 95 साल तक के बुजुर्ग भी पहुंचे तथा पूजा कर अर्घ्य दिया। नए कपड़ों में आभूषणों से सज्जित महिलाएं फल, मिष्ठान एवं पकवान से भरे बांस के नए सूप यानी डाला और दौरी यानी डलिया लेकर गीत गाते घरों से रवाना हुई। घर से घाट तक भोजपुरी लोक गीतों का क्रम तब तक चलता रहा, जब तक भगवान भास्कर सांयकालीन अर्घ्य स्वीकार कर अस्तांचल को नहीं चले गए। सूप व डलिया पर जगमगाते दीपक शाम के समय सरोवर तटों पर आकर्षक छटा बिखेर रहे थे। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद आतिशबाजी की गई। मंगलवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में व्रती महिलाएं पुरुषों के साथ सरोवर तट पर पहुंचेंगी। सभी जल में खड़ी होकर हाथ जोड़ भगवान सूर्यदेव के उदय होने की प्रतीक्षा करेंगी। उदय होते ही सूर्य को मंत्रोच्चार के साथ अर्घ्य दिया जाएगा। जलाशय पर छठ पूजन करती महिलाएं।
आज होगी गोद भराई की रस्म मैथिल समिति के संजय झा के अनुसार पर्व के चौथे दिन मंगलवार सुबह उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाओं द्वारा अन्य महिलाओं को सिंदूर लगाया जाएगा। पूजा में शामिल प्रसादी से उनकी खोंइछा यानी गोद भराई करेगी। यह रस्म शादीशुदा महिलाओं के लिए होती है। व्रती महिलाएं उनको तिलक लगाकर प्रसादी देगी, जिसे वे अपने आंचल यानी गोद में लेगी, जिसे खोंइछ भराई कहा जाता है। बापूनगर के रामदास बताते हैं कि यह पर्व लोक रीति-रिवाजों से जुड़ा है, इसलिए इसमें हर वर्ग के व्यक्ति की भागीदारी होती है। पूर्वांचल जनचेतना समिति के मीडिया प्रभारी विक्रम झा के अनुसार सोमवार शाम छठ माता को चढ़ाए गए प्रसाद का मंगलवार सुबह उदय होते सूर्य को भोग लगाकर अर्घ्य दिया जाएगा। इसमें अंकुरित चने और दही शामिल किया जाएगा। पूर्वांचल जन चेतना एवं छठ पूजा कार्य समिति की ओर से घाटों पर श्रद्धालुओं का पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया।
 
         
         
        