56 साल बाद मिला सेना के जवान का शव, 1968 में वायुसेना के विमान में गिरे थे शहीद
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उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश) के कसाबा नानौट के गांव फैजाबाद के शहीद मलखान सिंह को संन्यासी सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। करीब 56 साल पहले 1968 में भारतीय विमान सियाचिन मेकर के पास हुआ था, जिसमें 100 जवान शहीद हो गए थे। इनमें व्यापारी के मलखान सिंह भी शामिल थे। मलखान सिंह की पार्थिव देह के सुल्तानपुर में प्रवेश के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया। मलखान के परिवार में उनके माता-पिता, पाटनी और बेटे का देहांत हो गया है।
शहीद मलखान सिंह की पार्थिव देह आज जब स्याहपुर के पास पहुंची तो उनके परिवार का 56 साल पुराना घाव एक बार फिर हरा हो गया। सेना के युवा स्थानीय पुलिस की मदद से मलखान सिंह के पार्थिव शरीर को उनके गांव फैजाबाद ले गए। मलखान सिंह के छोटे भाई इसमपाल सिंह की मंगलवार को शव यात्रा के बारे में जानकारी दी गई।
पत्नी और बेटे का निधन हो गया है
56 वर्ष बाद दादा का शव उनके पुत्र गौतम कुमार से मिला जिसमें पूरा परिवार शामिल है। मृतक मलखान सिंह की पत्नी शीला देवी और पुत्र रामप्रसाद का निधन हो गया है, जबकि उनके दो पुत्र गौतम और मनीषी हैं, जबकि उनकी तीन पोतियां सोनिया, मोनिका और सीमा हैं।
पांच दशक बाद मलखान सिंह का शव मिलने की जानकारी मिलने के बाद परिवार के लोग हतप्रभ हो गए, उन्हें इस बात का भरोसा नहीं था कि अंतिम संस्कार के बाद उनका शव कैसे मिल सकता है, लेकिन क्षत्रप ने खुद अपनी तरफ से शव मिलने की आधिकारिक पुष्टि की है.
'भारत माता की जय' के नारे लगे
गौतम कुमार ने कहा, ''हमें कल सुबह आठ बजे के करीब सूचना दी गई कि आपके दादाजी का शव मिल गया है. मेरे दादाजी एयरफोर्स में थे. वे चंडीगढ़ से किसी मिशन के लिए निकले थे, तो उनका जहाज बर्फ में समा गया था, जिसके बाद उनका कोई पता नहीं चला, लेकिन अब उनके शव की मुलाकात की जानकारी मिल गई है। गाँव में ख़ुशी गम और दोनों का मनोबल है।”
पार्थिव शरीर जैसे ही गांव लाया गया, बड़ी संख्या में स्थानीय लोग श्रद्धांजलि देते हुए अपने घर के आस-पास एकत्र हुए और 'मलखान सिंह अमर रहे', 'भारत माता की जय' के नारे लगाए।
20 साल की उम्र में स्टूडियो में शामिल हुए थे
ईसमसिंह ने बताया कि मलखान सिंह 20 साल की उम्र में विमान में शामिल हो गए थे और इसके तीन साल बाद विमान दुर्घटना में शहीद हो गए थे। घटना के समय उनके परिवार में उनकी पत्नी शीला देवी और 18 माह के बेटे राम प्रसाद थे। उन्होंने बताया कि यदि मलखान जीवित रहे तो उनकी आयु 79 वर्ष थी।
अपर पुलिस अधीक्षक सागर जैन ने बताया कि मलखान सिंह की पहचान शव के पास मिले एक बार से हुई थी। अधिकारी ने बताया, ''सेना ने हमें बताया कि शव पूरी तरह से खराब नहीं था, क्योंकि वह बर्फ में था। उनके परिवार के सदस्य उनकी पहचान कर सकते हैं।''
शहीद ब्रांड और प्लांट की मांग
गौतम और बौद्ध उद्योगपति ऑटो बाजार में हैं। मलखान सिंह के भाई सुल्तान सिंह और चंद्रपाल सिंह की भी मौत हो गई। उनके भाई इसमपाल सिंह और बहन चंद्रपाली हैं। परिवार का कहना है कि उन्हें छात्रों की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली. परिवार के लोगों ने सरकार से अपने 'शहीद' के लिए 'शहीद' और 'शहीद' की भी मांग की।
हिमाचल प्रदेश के रोहतांग क्षेत्र में 1968 में विमान दुर्घटना में लापता मलखान सिंह का शव, भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स और स्मारक स्मारक के स्मारक की एक संयुक्त टीम ने हाल ही में बरामद किया है।
1968 में क्रैशग्रॉस्ट विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था
एएन-12 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के लगभग 56 साल बाद चार विस्फोटकों के ज्वालामुखी बरामद हुए। यह 102 लोग ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप ट्रांसपोर्ट विमान से सात फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते समय लापता हो गए थे।
एक अधिकारी ने बताया, ''जवानों के शव और विमान का मलबा दशकों तक बर्फ से ढके इलाके में दबा रहा।'' वर्ष 2003 में अटल बिहारी कैबिनेट पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने उथल-पुथल की खोज की। इसके बाद भारतीय सेना, विशेष रूप से डोगरा स्काउट्स द्वारा कई वर्षों तक अभियान चलाया गया। साल 2019 से लेकर अब तक सिर्फ पांच शव ही बरामद हुए थे।''
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