व्याख्याकार: ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर क्यों कब्जा करना चाहते हैं नारियल, अमेरिका के लिए यह क्यों है अहम?
डोनाल्ड रियल, जो अमेरिका के नवराष्ट्रपति हैं, 20 जनवरी को अमेरिका की कमान संभालेंगे। हालाँकि, अभी अमेरिका के राष्ट्रपति जो कि प्रभु के पास हैं, फिर भी किसी भी अवसर को नहीं छोड़ रहे हैं, जहाँ वह अपने आगामी पद पर आसीन हैं। कभी-कभी वह कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात करते हैं, तो कभी ग्रीनलैंड में स्थित ग्रीनलैंड पर सैनिकों या आर्थिक तरीकों से कब्ज़ा करने की योजना बनाते हैं, और कभी पनामा नहर को फिर से अमेरिका के नियंत्रण में लेने की बात करते हैं। .
अब सवाल यह है कि व्हेल ऐसा क्यों कर रहे हैं और उनकी रणनीति क्या है? हालाँकि, कनाडा को अमेरिका में मिलाने के दावे के बारे में ज्यादातर दावेदारों से न लिया जाए, लेकिन ग्रीनलैंड और पनामा के बारे में उनके विचारों पर विचार करना जरूरी है। आख़िर, ग्रीनलैंड और पनामा में ऐसा क्या है कि अपने नियंत्रण में लेने के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल किया जा रहा है और पीछे से भी नहीं हट रहे?
सबसे पहले बात करते हैं ग्रीनलैंड की. दुनिया के भू-राजनीतिक खेल ऐसे हैं कि हर देश अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करना चाहता है। अमेरिका के सामने रूस का दबदबा और चीन की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ताकत, दोनों ही बड़ी चुनौतियाँ हैं। इस सन्दर्भ में, ग्रीनलैंड पर नजरें हैं। इसे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी माना जाता है।
ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, जो उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती कब्जे में स्थित है। इसका अध्ययन भारत के लगभग दो टुकड़े के बराबर है, यानी पाँच 21 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक है। हालाँकि, ग्रीनलैंड नाम से ऐसा लगता है कि यह हरा-भरा होगा, लेकिन इसका 80 प्रतिशत क्षेत्र बर्फ से ढका हुआ है। भूगोल में इसे उत्तरी अमेरिका का हिस्सा माना जाता है, लेकिन अमेरिका की राजधानी डीसी से इसकी दूरी करीब 3000 किलोमीटर है।
स्नो से इस इलाक़े में अमेरिका की मछलियाँ क्यों हैं?
एकलैंड एक स्वतंत्रशासी क्षेत्र है, लेकिन यह डेनिश का भी हिस्सा है, जिसका अर्थ है अपनी सरकार और संसद ग्रीन। राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह यूरोप के काफी करीब है, और नौवीं सदी से यह नॉर्वे और डेनिश के संपर्क में है। ग्रीनलैंड के दो आधारभूत मध्यवर्ती क्षेत्र में मछली का व्यापार मौजूद है।
ग्रीनलैंड के उत्तरी ध्रुव के सबसे अजीब इलाके में समर में दिन दो महीने तक लंबे समय तक रहते हैं, जबकि समुद्र तट में रातें भी दो महीने तक लंबे समय तक रहते हैं। यह जैतून बड़ा है, रंगीन ही कुदरती उपयोगी से भी समृद्ध है। यहां तेल, गैस और दुर्लभ खनिज (दुर्लभ पृथ्वी खनिज) पाए जाते हैं, जो दुनिया में बहुत कम जगह पर पाए जाते हैं और बहुत महत्वपूर्ण पाए जाते हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के एक सर्वेक्षण में यह सामने आया कि ग्रीनलैंड में 25 से 25 वर्ष की आयु में 34 खनिज पाए जाने वाले यूरोपीय आयोग ने “महत्वपूर्ण कच्चे माल” के रूप में शुरुआत की थी। इनमें बैटरियों और इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त होने वाले रसायन जैसे खनिज भी शामिल होते हैं।
हालाँकि, नुकसान को ध्यान में रखते हुए ग्रीनलैंड ने अपने ज़मीन से तेल और गैस निकासी पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके अलावा, स्थानीय लोगों के विरोध के कारण यहां खनन करना भी आसान नहीं है। यही वजह है कि ग्रीनलैंड की इंडस्ट्री मुख्य रूप से फिशरीपालन और डेनिश से मिलने वाले बजट पर आधारित है।
ग्रीनलैंड का 80 प्रतिशत क्षेत्र बर्फ से ढका हुआ है, और कई स्थानों पर बर्फ की गहराई 4 किलोमीटर तक है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन के कारण अब बर्फ धीरे-धीरे-धीरे-धीरे पिघल रही है, जिससे नए समुद्री भोजन की संभावना बढ़ गई है। यही कारण है कि दुनिया के प्रिय देश इस इलाके में अपना प्रभाव बनाए रखना चाहते हैं।
ग्रीनलैंड पर रिसर्च के ताज़ा बयान का क्या मतलब है?
ग्रीनलैंड की भू-सामरिक संरचना इतनी बड़ी है कि इसके आसपास कोई भी देश अपनी पकड़ से बाहर नहीं जाना चाहता और इस पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश करता है। ग्रीनलैंड उत्तरी अमेरिका से यूरोप तक जाने वाले सबसे छोटे समुद्री मार्ग पर स्थित है। ग्रीनलैंड की राजधानी नुक्कड़, डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन की तुलना न्यूयॉर्क के काफी करीब है।
महत्वपूर्ण दृष्टि से इसे ध्यान में रखते हुए, शीतकाल के दौरान अमेरिका ने डेनिश युद्ध के साथ ग्रीनलैंड में एक संधि के तहत अपना राडार बेस स्थापित किया था। ऐतिहासिक रूप से, डेनिश ने इसे इस कारण से प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि ग्रीनलैंड की सुरक्षा में वह स्वयं पूरी तरह से सक्षम नहीं था और नाटो गठबंधन में शामिल होने के कारण उसे अमेरिका से सुरक्षा प्रदान की गई थी।
अमेरिका ग्रीनलैंड ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल वॉर्निंग सिस्टम के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत दिए हैं। कई विशेषज्ञों के अनुसार, चीन और रूस के विस्तारवादी रुख को देखते हुए, अमेरिका ग्रीनलैंड पर अपना नियंत्रण खोना नहीं चाहता। वास्तविक के अंतिम बयान इसी संदर्भ में आये हैं.
डोनाल्ड रियल ने राष्ट्रपति चुनाव के बाद जिस तरह की बयानबाजी की, वह डेनिश को रास नहीं आई। 2019 में, राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, खाल ने ग्रीनलैंड कोलाइक का प्रस्ताव दिया था, डेनिश बेतुका शासन ने उसे खारिज कर दिया था। अब, डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने फिर से इसी तरह की बयानबाजी करते हुए कहा है कि वे अमेरिका के करीबी सहयोगी हैं, लेकिन ग्रीनलैंड को वहां के लोगों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केवल ग्रीनलैंड ही अपने भविष्य का निर्णय ले सकता है। यूरोपीय संघ ने भी ग्रीनलैंड के संप्रभुता के सम्मान की बात कही है और कहा है कि ग्रीनलैंड डेनिश का हिस्सा है।
इस बीच, ग्रीनलैंड की स्वावलंबी सरकार ने अपनी शक्तियों को दोगुना करते हुए कहा है कि वे अल्प प्रशासन के साथ संपर्क स्थापित करने का इंतजार कर रहे हैं और अमेरिका के साथ घनिष्ठ सहयोग बनाए हुए हैं।
अब यह देखना होगा कि जब वामपंथ सत्य में आएगा, तो ग्रीनलैंड को लेकर उनकी वर्तमान पुष्टि जमीन पर कैसे नजर आएगी। वहीं, रूस और चीन ग्रीनलैंड पर भी स्टाल के अगले चरण पर नजर रखी जाती है।
अब बात करते हैं पनामा नहर के मुद्दे पर
अमेरिका के नवोदित राष्ट्रपति डोनाल्ड हिटलर पनामा नहर को लेकर भी काफी आक्रामक दिखाई दे रहे हैं। वह इस पर कब्ज़ा करने के लिए सैन्य बलों के इस्तेमाल की संभावना को भी प्रमाणित नहीं करता है। लेकिन आखिर इस पनामा नहर में क्या है, जो इसे लेकर इतना मोटा हो रहा है? इसका उत्तर है, वह नहर के माध्यम से होने वाला वैश्विक व्यापार।
आज दुनिया के समुद्री परिवहन का 5% अकेले पनामा नहर पर कब्जा है। हर साल इस नहर से 270 अरब डॉलर की लागत का सामान मिलता है, और अमेरिका के सस्ते दाम का 40% अकेले रूट से होता है। यही कारण है कि पनामा नहर अमेरिका के लिए सामरिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह नहर पनामा देश में स्थित है, जो उत्तर और दक्षिण अमेरिका में सम्मिलित है।
पनामा नहर का इतिहास और महत्व
पनामा का एक हिस्सा जैव विविधता और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कोलंबिया में स्थित है, जबकि पनामा 1903 तक कोलंबिया का हिस्सा था। पनामा का दूसरा प्राकृतिक दृश्य से समृद्ध देश कोस्टा रिका है। भौगोलिक दृष्टि से पनामा एक इस्तमुस (भूमरी मध्य) है, जहां एक ओर उत्तरी प्रशांत महासागर, दूसरी ओर कैरिबियन सागर, और तीसरी ओर पनामा की खाड़ी स्थित है। पनामा की यह भौगोलिक स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि कोलंबिया से पनामा की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले अमेरिका ने 1903 में पनामा की स्वतंत्रता के बाद उसके साथ मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित किया और इसका लाभ भी उठाया। उसी वर्ष पनामा ने अमेरिका को अपने दो सागरों को जोड़ने वाली पनामा नहर बनाने, बनाने और उसकी रक्षा करने का अधिकार प्रदान किया। अमेरिका ने पंद्रह वर्ष, 1914 तक इस नहर को पूरा कर लिया।
अमेरिका के लिए पनामा नहर का महत्व
82 किलोमीटर लंबी यह नहर अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार की चुनौती बेहद महत्वपूर्ण है। पनामा नहर बनने के बाद, अमेरिका या कनाडा के पश्चिमी तट तक पहुंचने के लिए अब दक्षिण अमेरिका का पूरा चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं रही। सबसे पहले, खिलाड़ियों को दक्षिण अमेरिका के ध्रुवीय दक्षिणी छोर, केप हॉर्न से रियाज़ था। उदाहरण के लिए, यदि न्यूयॉर्क से सैन फ्रांसिस्को समुद्री मार्ग से जाना हुआ, तो पहले केप हॉर्न से 20,900 किलोमीटर की यात्रा तय करनी थी। लेकिन पनामा नहर के बनने से यह दूरी केवल 8,370 किमी रह गई।
पनामा नहर के बनने के बाद समुद्री व्यापार की स्थिति ऐसी हो गई कि हजारों जहाज इस नहर के रास्ते कैरिबियन सागर से उत्तरी प्रशांत महासागर की ओर चले गए। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, दुनिया का 5% समुद्री परिवहन पनामा नहर का मार्ग है, और अमेरिका का 40% समुद्री परिवहन पनामा नहर से होता है। 2023 में, इस नहर से 14,000 से अधिक जहाज गुजरे। यह नहर दुनिया के 170 देशों के 2,000 से अधिक बंदरगाहों को जोड़ती है।
असल में, दुनिया का 90% सामान समुद्री जहाज़ों से ही बनता है, इसलिए ऐसे महत्वपूर्ण होते हैं समुद्री जहाज़ जो समुद्री जहाज़ों को छोटे कर देते हैं। पनामा नहर दुनिया की कुछ गिनी-चुनी नहरों में से एक है, जो वैश्विक व्यापार के लिए एक अहम कड़ी है।
पनामा नहर पर किताब के बयान और उसकी पृष्ठभूमि
1979 और 1999 में पनामा ने अमेरिका के साथ कुछ अतिरिक्त सुविधाएं हासिल कीं, जिसकी जगह 1999 से पनामा ने इस नहर पर पूरा अधिकार और नियंत्रण हासिल कर लिया। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड व्याच इस स्थिति से नाराज नजर आ रहे हैं। दो दिन पहले उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर की आलोचना की थी, क्योंकि उनके शासनकाल में अमेरिका ने पनामा नहर पर अपना अधिकार छोड़ दिया था। वास्तविकता का मानना है कि 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका ने मच्छरों से एक बस्ती इलाके में इस नहर को बनाने में समय और संसाधन लगाए, इसलिए इसे अमेरिका के नियंत्रण में रखा जाना चाहिए।
रियलिटी का यह भी मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में चीन ने इस महत्वपूर्ण नहर पर अपने प्रभाव का विस्तार किया है, और अब इस नहर से अमेरिका के लिए सबसे अधिक पैसा लिया जा रहा है।
चीन के प्रभुत्व के साथ पनामा नहर की स्थिति
दक्षिण अमेरिका के देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर अमेरिका पहले से ही सतर्क है। महत्वपूर्ण और व्यावसायिक दृष्टि से सारांश के लिए अंतिम पनामा नहर को लेकर अपनी कड़ी टिप्पणी कर रहे हैं। हालाँकि, सत्य में आने के बाद वे क्या कदम उठाएँगे, यह देखना अभी बाकी है।
पनामा नहर पर सूखा एवं जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
पनामा नहर की स्थिति केवल चीन के प्रभुत्व का कारण नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी प्रभावित हो रही है। पिछले दो वर्षों में सूखा ने पनामा नहर पर गंभीर प्रभाव डाला है। 2022 के अंत से शुरू हुआ 2023 तक जारी होने वाली फिल्म का प्रभाव, जिस कारण झीलें झीलें और झीलों में पानी की कमी हो गई। इस कारण से, नहर से जुड़े लोगों का आना-जाना प्रभावित हुआ और पनामा नहर कंपनी ने नहर से बालकों की संख्या और उनके आकार पर पाबंदियां लगाया। इसके परिणामस्वरूप, मालवाहक कंपनियों की संख्या में 40% तक की कमी आई और कई कंपनियों ने अपना मार्ग प्रशस्त कर लिया, जिससे लागत में वृद्धि और प्रदूषण में भी गिरावट आई।
पनामा नहर का निर्माण और लॉक सिस्टम
पनामा नहर का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया थी। अनुमान है कि नहर खोदने में इतनी मिट्टी और चट्टानें निकाली गईं कि उन्हें पूरा मैनहटन द्वीप 12 फीट तक भरा जा सका। नहर का निर्माण आसान नहीं था क्योंकि यह अटलांटिक सागर वाला छोर, प्रशांत महासागर से काफी नीचे था। इस कारण, खिलाड़ियों को अटलांटिक महासागर से प्रशांत महासागर की ओर भेजा गया था। इसके लिए तीन स्थानों पर लॉक बनाए गए थे, जिसमें डॉयलम्स को ऊपर से नीचे या ऊपर से नीचे उतारने में मदद की गई थी।
अटलांटिक महासागर से जहाज नहर में प्रवेश करता है, तो पहला लॉक बंद कर दिया जाता है। इसके बाद, पानी ऑर्केस्ट्रा नहर का स्तर ऊपर उठाया जाता है और जहाज दूसरे लॉक में प्रवेश करता है। फिर, दूसरा ताला बंद हो गया और पानी स्मारक नहर का स्तर फिर से ऊंचा हो गया। इस प्रकार, जहाज थ्री लॉक्स के माध्यम से प्रशांत महासागर तक का अवलोकन किया जाता है।
पनामा नहर का इतिहास
पनामा नहर बनाने का विचार 15वीं सदी का था, लेकिन इसका पहला प्रयास फ्रांस ने किया था। मिस्र में स्वेज नहर बनाने वाले बिल्डर, काउंट फर्डिनेंड डी लेस्पेप्स को 1880 में इसका काम सौंपा गया था, लेकिन तकनीकी और आर्थिक दृष्टिकोण के कारण इसे वापस ले लिया गया। 1903 में, अमेरिका ने इस पर तेजी से काम किया और 40,000 से भी अधिक असंतुलितों पर काम किया। येलो फीवर और मलेरियल के कारण कई जीवों की मौत हो गई, फिर भी काम जारी रहा और 1914 में यह नहर पूरी तरह से खत्म हो गई।
दुनिया के अन्य महत्वपूर्ण नहरें
ग्रैंड कैनाल, चीन – 1776 किलोमीटर लम्बा यह कैनाल बीजिंग को हांगाझाउ से जापान और विश्व शिखर सम्मेलन में शामिल है। इसे 330 साल ईसा पूर्व से बनाने का काम शुरू हुआ था।
स्वेज़ नहर – 193.30 किलोमीटर लम्बा यह नहर 1869 में पूरी तरह से उभरा, जो स्वेज़ की खाड़ी से घिरा हुआ है। यह नहर यूरोप और एशिया से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।
पनामा नहर – 1914 में पूरी तरह से, यह नहर अटलांटिक महासागर से प्रशांत महासागर तक और वैश्विक समुद्री व्यापार का 5% हिस्सा इसी से प्रभावित हुआ।
प्यारे कैनाल, अमेरिका – 584 किमी लम्बा यह नहर 1817 से 1825 के बीच बनी और अमेरिका के मध्यपश्चिम के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कराकुम नहर, तुर्कमेनिस्तान – 1988 में पूरी तरह से बनी यह नहर सोवियत संघ के दौर में बनाई गई थी और तुर्कमेनिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण क्रांति हुई थी।
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