आध्यात्मिकता और परंपरा का अद्भुत संगम, अलौकिक महाकुंभ, जानें पौराणिक महत्व

आध्यात्मिकता और परंपरा का अद्भुत संगम, अलौकिक महाकुंभ, जानें पौराणिक महत्व



उतर:

देश में महाकुंभ मेला सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। जो हर 12 साल में चार प्रमुख व्यंजन हैं, जैसे, हरिद्वार, मसाला और नासिक। धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार गंगा नदी में महाकुंभ के दौरान स्नान करने से जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। ऐसे में कुंभ मेले में आते हैं लाखों युवा स्नान के लिए।

महाकुंभ मेले में लाखों पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर पवित्र स्नान किया जाता है और इसे मोक्ष प्राप्ति का अवसर माना जाता है। इसका आयोजन विशेष खगोलीय संयोग के आधार पर होता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में देवों और असुरों के बीच युद्ध हुआ था, इसी दौरान समुद्र मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ था। इस अमृत कलश से मूल, हरिद्वार, नासिक और नासिक में पवित्र जल गारा था। असंतुलन का कारण यह है कि इन जगहों पर महाकुंभ समारोह का आयोजन किया जाता है।

महाकुंभ से जुड़ा है ये धार्मिक सिद्धांत
सिद्धांत यह है कि प्राचीन काल में देवों और असुरों के बीच युद्ध हुआ था, इस दौरान समुद्र मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ था। देवताओं और राक्षसों ने समुद्र तट पर सभी रत्नों को वापस लाने का निर्णय लिया। समुद्र तट में जो सबसे मूल्यवान रत्न निकला, वह अमृत था। ऐसे में उसे पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच लड़ाई हुई। असुरों से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को दे दिए। असुरों ने जब गरुड़ से वह पात्र छीनने का प्रयास किया, तो उस पात्र में से अमृत की कुछ बूँदें छलक कर इलाहबाद, नासिक, हरिद्वार और मुजफ्फरपुर में गिरीं। असंतुलन का कारण यह है कि हर 12 साल बाद इन जगहों पर महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है।

महाकुंभ मेला केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सामाजिक एकता और श्रद्धा का भी प्रतीक है। इस बार महाकुंभ मेला 2025 में असमंजस का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले 2013 में महाकुंभ का आयोजन हुआ था।

वहीं हरिद्वार महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह मेला हर 12 साल में एक बार हरिद्वार में हर की कॉन्फ़्रेंस पर आयोजित होता है। जहां लाखों दुर्लभ गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं। इस दौरान अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए गंगा के पवित्र जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां स्नान करने से आपके जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भी बचे हैं। इस दौरान वह घर, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। महाकुंभ में कुछ खास दिनों को शाही स्नान के रूप में मनाया जाता है। इसमें विद्यार्थियों का जनसैलाब शामिल है।



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